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कन्वर्टिबल डिबेन्चर का महत्त्व क्या होता हैं ?

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कन्वर्टिबल डिबेन्चर के सामान्य अंश में परिवर्तित होने से कम्पनी उधार स्वरूप की पूँजी को मालिकी स्वरूप में परिवर्तित कर सकती है, जिससे कम्पनी को डिबेन्चर की रकम व ब्याज चुकाने की आवश्यकता नहीं होती । ऋण-पत्र धारक को अपने आप अंशधारी के रूप में लाभ मिल जाता है, जिसमें बोनस शेयर, अधिकार के अंश, अधिक लाभांश इत्यादि द्वारा कम्पनी के विकास में हिस्सेदार बनने का अवसर मिलता है । इससे भारत में डिबेन्चर लोकप्रिय हुए हैं ।



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