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लेखक ने चित्तौड़गढ़ की धूलि को बार-बार मस्तक से क्यों लगाया? |
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Answer» चित्तौड़गढ़ की भूमि वीरों की भूमि है, बलिदानियों की भूमि है। इस भूमि के कण-कण में बलिदानियों की वीरता की कहानी छिपी पड़ी है। यह भूमि वीरांगनाओं के जौहर की कहानी सुना रही है। विजय स्तम्भ वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है। सात खण्डों वाले विजय स्तम्भ को देखकर लेखक गदगद हो गया। महान् वीरता का इतिहास विजय स्तम्भ से जुड़ा है। लेखक को लगा विजय स्तम्भ का एक-एक कण, एक-एक पत्थर अपने अन्दर छिपी वीर-गाथाओं को सुना रहा है। लेखक इतना भावुक हो गया कि उसने उस स्थल को सन्ध्या से पूर्व नहीं छोड़ा। वीरों की, बलिदानियों की याद करके लेखक ने वहाँ की धूलि को बार-बार मस्तक से लगाया। लेखक ने धूलि को मस्तक से लगाया क्योंकि उसके हृदय में वीरों के प्रति श्रद्धा का भाव जागृत हो गया था। |
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