1.

“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब (क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं। (ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।

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(क) समय-समय ऐसी कुचेष्टाएँ की गईं जब मानव-संस्कृति को धर्म और संप्रदाय में बाँटने का प्रयास किया गया। कुछ असामाजिक तत्व तथा धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिकता का जहर फैलाने का प्रयासकर मानव संस्कृति को बाँटने की कुचेष्टा की। इन लोगों ने अपने भाषणों द्वारा दोनों वर्गों को भड़काने का प्रयास किया। इनके त्योहारों पर भी एक-दूसरे को उकसाकर धार्मिक भावनाएँ भड़काने का प्रयास किया। वे मस्जिद के सामने बाजा बजाने और ताजिए के निकलते समय पीपल की डाल कटने पर संस्कृति खतरे में पड़ने की बात कहकर मानव संस्कृति विभाजित करने का प्रयास करते रहे। 

(ख) मानव-संस्कृति के मूल में कल्याण की भावना निहित है। इस संस्कृति में अकल्याणकारी तत्वों के लिए स्थान नहीं है। समय-समय पर लोगों ने अपने कार्यों से इसका प्रमाण भी दिया; जैसे 

1. भूखे व्यक्ति को लोग अपने हिस्से को भोजन खिला देते हैं। 

2. बीमार बच्चे को अपनी गोद में लिए माँ सारी रात गुजार देती है। 

3. कार्ल मार्क्स ने आजीवन मजदूरों के हित के लिए संघर्ष किया। 

4. लेनिन ने अपनी डेस्क की ब्रेड भूखों को खिला दिया। 

5. सिद्धार्थ मानव को सुखी देखने के लिए राजा के सारे सुख छोड़कर ज्ञान प्राप्ति हेतु जंगल की ओर चले गए।



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