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Answer» मार्गदर्शन का महत्त्व (Importance of Directing) निम्न है : - कार्यक्षमता में वृद्धि : कर्मचारियों को विभागीय कार्यों के बारे में योग्य मार्गदर्शन दिया जाता है तभी व्यवस्थातंत्र कार्यक्षम बनता है । मार्गदर्शन के कारण कर्मचारी को अपने कार्य, अधिकार और दायित्व की स्पष्टता होती है जिससे उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है ।
- कार्यक्षमता का विश्लेषण : मार्गदर्शन द्वारा कर्मचारियों के कार्य का विश्लेषण किया जाता है । जिससे उनके कार्य का मूल्यांकन होता है । मार्गदर्शन द्वारा ही कर्मचारियों की कार्यक्षमता का विश्लेषण और मूल्यांकन हो सकता है ।
- कर्मचारियो को प्रोत्साहन : मार्गदर्शन के कारण ही कर्मचारियो को योग्य कार्यपद्धति तथा नीति-नियमों से अवगत किया जा सकता है । कार्य सम्बन्धी समस्याओं को दूर किया जा सकता है जिससे कार्य करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है ।
- प्रभावशाली आयोजन : मार्गदर्शन के माध्यम से आयोजन द्वारा निर्धारित उद्देश्य को सफल बनाया जाता है ।
- असरकारक व्यवस्थातंत्र : मार्गदर्शन के कारण प्रत्येक कर्मचारी को उनके अधिकार और दायित्व का ख्याल आता है । इसके अलावा अधिकारियों के आदेश एवं सूचनाओं का योग्य रूप से पालन होता है । जिसके कारण समग्र व्यवस्थातंत्र असरकारक होता है ।
- संकलन और सहकार : कर्मचारियों के कार्यों का संकलन मार्गदर्शन द्वारा हो सकता है । कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्यों को इकाई के मुख्य उद्देश्य के साथ जोडा जाता है । मार्गदर्शन देनेवाला नेता अपने अधिनस्थो के कार्यों का संकलन करता है ।
- नियंत्रण का कार्य : योग्य मार्गदर्शन से कर्मचारियों की कार्य के बारे में भूल और कमियों/त्रुटियों की सम्भावना घटती है । जियरा निर्धारित लक्ष्यों के प्रमाण में कर्मचारियों के पास से काम लेने का कार्य सरल हो जाता है । इस तरह नियंत्रण का कार्य प्रभावशाली हो जाता है ।
- कर्मचारियों के कार्य उत्साह में वृद्धि : मार्गदर्शन देने से कर्मचारियों के कार्य के प्रति का अभिगम बदलता है । रूचि बढ़ती है । जब कोई अवरोध आता है तो कर्मचारी उनको हल कर सकता है । जिसके परिणाम स्वरूप कार्य का सातत्य बढ़ता है, जिससे कर्मचारियों का उत्साह बढ़ता है ।
- विचलन को खोजना : निर्धारित उद्देश्य के रूप में ही कार्य हो रहे है या नहीं इनका मार्गदर्शन द्वारा ही निरीक्षण किया जाता है जिससे अनिश्चनीय विचलनों को प्राथमिक अवस्था द्वारा ही खोज सकते है । प्राथमिक अवस्था के विचलनों को योग्य कदम उठाकर नियंत्रित किया जा सकता है ।
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