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मध्यकाल में भारतीय समाज में स्त्री-शिक्षा की क्या स्थिति थी?

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भारत में मुस्लिम सत्ता की स्थापना हो जाने से देशभर में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाजों में परदा-प्रथा का बहुत अधिक प्रचलन हो गया तथा हिन्दुओं में बाल-विवाह की प्रथा भी आरम्भ हो गयी। अतः अल्प आयु की कुछ बालिकाएँ भले ही थोड़ा-बहुत ज्ञान प्राप्त कर लेती हों, लेकिन उच्च शिक्षा से वे वंचित ही रहती थीं।
केवल धनी परिवारों की स्त्रियाँ ही घर पर शिक्षा प्राप्त करती थीं, लेकिन जनसाधारण वर्ग की स्त्रियों के लिए शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसीलिए रजिया बेगम, नूरजहाँ, जहाँआरा, जेबुन्निसा, मुक्ताबाई आदि बहुत थोड़ी विदुषी महिलाएँ ही इस युग में हुईं। 18वीं शताब्दी में स्त्री-शिक्षा का इतना ह्रास हो गया कि 19वीं शताब्दी के आरम्भ में केवल एक प्रतिशत बालिकाएँ ही पढ़-लिख सकती थीं।



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