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Answer» मध्यकालीन शिक्षा के गुण मध्यकालीन शिक्षा में निम्नांकित गुण थे 1. अनिवार्य शिक्षा-इस्लाम धर्म के अनुसार शिक्षा ईश्वर की प्राप्ति में सहायता करती थी, इसलिए शिक्षा को अनिवार्य स्वीकार किया गया था। बालिकाओं के लिए शिक्षा अनिवार्य नहीं थी। 2. धार्मिक एवं लौकिक शिक्षा को समेस्वय-इस युग की शिक्षा की प्रमुख विशेषता धार्मिक और लौकिक शिक्षा में समन्वय की स्थापना थी। शिक्षा के द्वारा बालकों को धार्मिक आचरण के लिए प्रेरित किया जाता था। शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य इस्लाम धर्म का प्रचार करना था। मुसलमान धर्म को केवल स्वर्ग-प्राप्ति का साधन नहीं मानते थे, लेकिन हिन्दू इसे सांसारिक सुख तथा समृद्धि-प्राप्ति का साधन मानते थे। इसीलिए धार्मिक भावना के साथ-साथ विद्यार्थियों के रहन-सहन और जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं को भी ध्यान में रखा जाता था। इस प्रकार ईश्वर की प्राप्ति का लक्ष्य रखते हुए भी विद्यार्थियों में सांसारिक भावना प्रधान रहती थी। 3. निःशुल्क शिक्षा-मध्यकाल में छात्रों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, वरन् पूर्णतया नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था थी। 4. शिक्षा संस्थाओं का उपयुक्त वातावरण- शिक्षा | मध्यकालीन शिक्षा के गुण संस्थाओं में छात्रों को अध्ययन के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता अनिवार्य शिक्षा था। उन्हें शान्त, कोलाहलहीन व मनोरम स्थानों में बनवाया जाता था। धार्मिक एवं लौकिक शिक्षा का 5. व्यापक पापक्रम-मध्यकाल में बहुत विस्तृत व व्यापक समन्वय पाठ्यक्रम लागू किया गया था। छात्रों को साहित्य, भाषा, व्याकरण, निःशुल्क शिक्षा गणित, ज्योतिष, इतिहास, भूगोल, कानून, दर्शन, तर्कशास्त्र, कृषि, शिक्षा संस्थाओं का उपयुक्त चिकित्सा, अर्थशास्त्र इत्यादि विषय पढ़ाए जाते थे। वातावरण 6. व्यावहारिक शिक्षा-मध्यकाल में व्यावहारिक शिक्षा पर में व्यापक पाठ्यक्रम बहुत अधिक बल दिया गया था। बालकों को ऐसे विषयों का ज्ञान व्यावहारिक शिक्षा दिया जाता था, जो जीवन में उपयोगी होते थे। पुरस्कार और छात्रवृत्तियों । 7. पुरस्कार और छात्रवृत्तियाँ-इस युग में छात्रों के लिए हुचरित्र-निर्माण पुरस्कार और छात्रवृत्तियों की व्यवस्था की जाती थी, जिससे छात्र अविगत सके। पढ़ने के लिए अधिक-से-अधिक प्रोत्साहित हो सकें। सरस साहित्य को विकास 8. चरित्र-निर्माण-बालकों को ऐसी शिक्षा दी जाती थी, के इतिहास रचना : जिससे बालकों में नैतिकता का विकास होता था और उनका चरित्र आदर्श बनता था। 9. व्यक्तिगत सम्पर्क- मध्यकाल में शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच बहुत मधुर सम्बन्ध रहते थे, क्योंकि एक ही छात्रावास में शिक्षक और विद्यार्थी दोनों रहा करते थे। 10.सरस साहित्य का विकास-मध्यकाल में श्रृंगार रस को प्रधानता दी जाती थी। इस काल में इसी कारण सरस साहित्य और कलाओं को अत्यधिक प्रोत्साहन मिला। 11. इतिहास रचना-मुस्लिम शासकों में अपने समय का इतिहास स्वयं लिखने की प्रवृत्ति थी। अतः तत्कालीन बातों की जानकारी उनके विवरण से प्राप्त होती है। 12. विशिष्ट शिक्षाओं को प्रोत्साहन-मध्यकाल में सैनिक शिक्षा, संगीत, वास्तुकला, शिल्पकला जैसी विशिष्ट शिक्षाओं को विशेष प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।
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