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मनोविश्लेषण विधि का सामान्य परिचय दीजिए।

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फ्रायड नामक विख्यात मनोवैज्ञानिक ने सम्मोहन विधि की कमियों को ध्यानावस्थित रखते हुए मनोविश्लेषण विधि’ (Psycho-analysis) की खोज की। रोगी को एक अर्द्ध-प्रकाशित कक्ष में आरामकुर्सी पर इस प्रकार विश्रामपूर्वक बैठाया जाता है कि मनोविश्लेषक तो रोगी की क्रियाओं का पूर्णरूपेण अध्ययन व निरीक्षण कर पाये लेकिन रोगी उसे न देख सके। अब मनोविश्लेषक के व्यवहार से प्रेरित व सन्तुष्ट व्यक्ति उस पर पूरी तरह विश्वास प्रदर्शित करता है। यद्यपि शुरू में प्रतिरोध की अवस्था के कारण रोगी कुछ व्यक्त करना नहीं चाहता, किन्तु उत्तेजक शब्दों के प्रयोग से उसे पूर्व-अनुभव दोहराने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके बाद स्थानान्तरण की अवस्था के अन्तर्गत दो बातें होती हैं-(i) रोगी चिकित्सक को भला-बुरा कहता या गाली बकता है अथवा (ii) रोगी मनोविश्लेषक पर मुग्ध हो जाता है और उसकी हर एक बात मानता है। शनैः-शनै: रोगी अपनी समस्त बातों की जानकारी मनोविश्लेषक को दे देता है, जिससे उसकी उलझनें समाप्त हो जाती हैं और वह सामन्य व समायोजित हो जाता है।



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