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नागरिक की विभिन्न परिभाषाओं का उल्लेख कीजिए।

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‘नागरिक’ की परिभाषाएँ
प्राचीन यूनानी विचारक अरस्तु ने नागरिक की परिभाषा इन शब्दों में की थी, “एक नागरिक वह है, जिसने राज्य के शासन में कुछ भाग लिया हो और जो राज्य द्वारा प्रदान किए गए सम्मान का उपभोग कर सके।”

भले ही तत्कालीन परिस्थितियों में अरस्तु की उपर्युक्त परिभाषा सटीक रही हो, लेकिन अरस्तू की यह परिभाषा आधुनिक काल में अपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि आज नगर-राज्यों का स्थान विशाल राज्यों ने ले लिया है। फलतः ‘नागरिक’ शब्द का अर्थ भी बहुत अधिक व्यापक हो गया है। आधुनिक विद्वानों ने ‘नागरिक’ शब्द की परिभाषा निम्नलिखित प्रकार से दी है ।

लॉस्की के अनुसार, “नागरिक केवल समाज का एक सदस्य ही नहीं है, वरन् वह कुछ कर्तव्यों का यान्त्रिक रूप से पालनकर्ता तथा आदेशों का बौद्धिक रूप से ग्रहणकर्ता भी है।”

गैटिल के अनुसार, “नागरिक समाज के वे सदस्य हैं, जो कुछ कर्तव्यों द्वारा समाज से बँधे रहते हैं, जो उसके प्रभुत्व को मानते हैं और उससे समान रूप से लाभ उठाते हैं।”

सीले के अनुसार, “नागरिक उस व्यक्ति को कहते हैं, जो राज्य के प्रति भक्ति रखता हो, उसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों और जन-सेवा की भावना से प्रेरित हो।”



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