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निबंध लिखें:-नैतिकता का पतन:-*नैतिकता व मानवता का संबंध एवं अर्थ*समाज पर प्रभाव*नैतिकता के स्तर में गिरावट के कारण​

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                                              (निबंध)

                                      नैतिकता का पतन

नैतिकता की अर्थ – मनुष्य को समाज के बनाए नियमों के अनुसार ही आचरण करना चाहिए। इन्हीं नियमों को अपने आचरण में ढाल लेना नैतिकता कहलाता है। किसी देश के संविधान द्वारा देश के बनाये गये नियम कानूनी नियम कहलाते हैं और उनका पालन करने की बाध्यता होती है। न पालन करने की स्थिति में दंड मिलने का भय होता है। नैतिकता के नियमों के पीछे ऐसी कोई बाध्यता नही होती। नैतिकता के नियम व्यक्ति के आंतरिक आचरण से जुड़े होते हैं।   नैतिकता कोई नियमों का पालन करना भर नही है, बल्कि ये हमारे संस्कार का हिस्सा बनने वाली चीज है। नैतिकता किसी दंड के भय से या जबरदस्ती धारण करने वाली प्रवृत्ति नही बल्कि ये हमारे स्वभाव में स्वेच्छा से आनी चाहिये।

नैतिकता और मानवता का संबंध – नैतिकता मानवीय संवेदना से जुड़ी हुई है जो व्यक्ति जितना अधिक नैतिक होगा वह उतना ही संवेदनशील होगा या वह जितना संवेदनशील होगा उतना ही अधिक नैतिक मूल्यों पर चलने वाला होगा। नैतिकता का संबंध ही मानव के सद्गुणों से है ये सद्गुण हैं ईमानदारी, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा, उत्तरदायित्व वहन करने की तत्परता आदि। यदि मानव में ये गुण हैं तो वो नैतिक मूल्यों पर चलने वाला होगा।

नैतिकता का समाज पर प्रभाव – किसी देश और उसके समाज में जितनी अधिकता नैतिकता होगी अर्थात जितने अधिक लोग नैतिक मूल्यों पर चलते होंगे वो समाज उतना सभ्य और सुसंस्कृत होगा। उदाहरण के लिये लगभग सभी समाजों में चोरी, लूट, ठगी को अनैतिक माना गया है तो इसका अर्थ है कि हमें ईमानदारी का पालन करना चाहिये। दूसरे व्यक्ति के धन पर बुरी नजर डालनी चाहिये।

नैतिकता के स्तर में गिरावट के कारण — आज नैतिकता के स्तर में भयंकर गिरावट हो रही है। समाज में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। सरकारों में भ्रष्ट नेताओं की भरमार हो गई है। ऐसे नेता जिनके ऊपर आपराधिक मामले हैं या वे अपराधी है, वह हमारे जनप्रतिनिधि बन बैठे हैं। तो उसका कारण भी हम हैं। क्योंकि हम लोग ही ऐसे लोगों को चुनते हैं अर्थात हम लोगों ने उनके गलत कार्यों को भी स्वीकार लिया और अपना मौन समर्थन दे दिया है। लोगों के आचार-विचार, आचरण, स्वभाव, परिधान आदि सब जगह नैतिकता का पतन हो चला है। इसका एक कारण ये हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को भूलते जा रहें हैं और तथाकथित आधुनिकता की अंधी-दौड़ में शामिल हो चुके हैं। हमारी स्वार्थी प्रवृत्ति भी नैतिकता के पतन का कारण है, हमारी किसी भी कीमत पर अपना काम निकालने की जो प्रवृत्ति  है और जिसके लिये हम सारे नियम-कायदों को ताक पर रख देते हैं, वहीं से अनैतिकता की शुरुआत होती है।

समाज में नैतिकता को मजबूत करने के लिए हमें चाहिये कि हम ईमानदारी से रहें, अपने काम के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहें, सदैव सच्चाई को समर्थन दें, भ्रष्ट-आचरण से बचें तभी नैतिक मूल्यों के पतन में कमी आयेगी।



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