InterviewSolution
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नीची मृत्युदर के कारण बताइए । |
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Answer» एक वर्ष के दरम्यान प्रतिहजार की जनसंख्या पर मृत्यु पानेवाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं । 1951 में भारत की मृत्युदर 27.4 थी जो घटकर 2011 में 7.1 रह गयी । मृत्युदर नीची होने के निम्नलिखित कारण हैं : (1) जीवन स्तर में सुधार : आर्थिक विकास होने के कारण लोगों की आय में वृद्धि होने से जीवनस्तर में सुधार हुआ है । देश में लोगों को पहले की अपेक्षा गुणवत्तायुक्त अनाज, आवास की सुविधा, स्वास्थ्य की देखभाल और पर्याप्त शिक्षा प्राप्त हुयी है । परिणाम स्वरुप मृत्युदर में कमी आयी है । (2) संक्रामक रोगों पर नियंत्रण : 20वीं सदी के उत्तरार्ध में देश में प्लेग, शीतला, क्षय, मलेरिया जैसे जान लेवा रोगों के कारण मृत्युदर ऊँची थी परंतु बीसवीं सदी के अंत में विकास के कारण मेडिकल क्षेत्र अद्भुत प्रगति हुयी और रोग प्रतिकारक रसीओं की खोज होने से उपर्युक्त रोगों पर नियंत्रण रखने में सफलता प्राप्त हुयी जिसके परिणाम स्वरूप मृत्युदर में कमी आयी । (3) अकाल पर नियंत्रण : विज्ञान और टेक्नोलोजी के कारण अकाल पर अंकुश आया है । जिसे भुखमरी के कारण होनेवाली मृत्यु को रोका जा सका है । 1966 के बाद हरित क्रांति होने से देश में अनाज की पूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी है । परिणाम स्वरूप जहाँ अनाज की कमी हो वहाँ सरलता से अनाज पहुँचा सकते हैं । परिणाम स्वरूप, भुखमरी के कारण होनेवाली मृत्यु को रोक सके हैं । (4) प्राकृतिक आपदाओं के सामने रक्षण और वाहनव्यवहार की सुविधा : भारत में भूकंप, त्सुनामी, भूस्खलन, अतिवृष्टि, अनावृष्टि जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कारण मृत्युदर का आंक ऊँचा था । वर्तमान समय में देश के किसी भी हिस्से में इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ सर्जित हुयी हो तो तीव्र परिवहन और संचार के परिणाम स्वरूप तात्कालिक अनाज दवाएँ और अन्य प्राथमिक आवश्यकता को मानवीय मापदण्ड प्राप्त होने से मृत्युदर में कमी आयी है । |
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