InterviewSolution
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निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर, अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखिए:किसी नगर में एक नवयुवक रहता था जिसका नाम सुन्दर था। वह मेहनत करने से हमेशा बचता था। जब भी कोई काम उसके सामने आ जाता था जिसमें उसे मेहनत करनी हो, तो वह उस कार्य से दूर भागने लगता था। मेहनत को लेकर उसके मन में यह बात बैठ गयी थी कि वह कभी मेहनत नहीं कर सकता लेकिन उसके अंदर अच्छी बात यह थी कि वह अपने जीवन में सफल होना चाहता था। वह सोचता था क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो उसे सफलता का मंत्र दे सके।इस प्रश्न को लेकर वह बहुत से लोगों और विद्वानों के पास गया। कोई कहता था कि माता-पिता की सेवा करना सफलता का मंत्र है, तो कोई कहता था कि लोगों की मदद करना सफलता का मंत्र है। लेकिन किसी का भी उत्तर उसे संतुष्ट नहीं कर पाता था। एक दिन जब वह अपने नगर की एक सड़क से गुजर रहा था, तो उसने एक साधु को देखा जिसे एक बहुत बड़ी भीड़ ने घेर रखा था। उस साधु को उसने पहले कभी अपने नगर में नहीं देखा था। साधु के बारे में पूछने पर पता चला कि वे साधु लोगों के प्रश्नों के बहुत सटीक उत्तर देते हैं, आज तक कोई भी व्यक्ति उनके उत्तर से असंतुष्ट नहीं हुआ है। सुन्दर की आँखों में चमक आ गई। उसने सोचा कि क्यों न साधु से अपने प्रश्न का उत्तर जाना जाए। अगर उन्होंने मुझे सफलता का मंत्र बता दिया तो मैं जरूर सफल हो जाऊँगा।वह साधु के पास गया और उनसे पूछा, “साधु महाराज, मैं अपने जीवन में सफल होना चाहता हूँ, क्या आप मुझे सफलता का मंत्र बता सकते हैं?” साधु के चेहरे पर मधुर मुस्कान आ गयी और उन्होंने कहा, “तुम्हारे इस प्रश्न के बारे में मैं तुम्हें अभी नहीं बताऊँगा। इस नगर में मुझे 10 दिन तक रुकना है। तुम कल आकर मुझसे मिलो।” अगले दिन साधु ने उसे एक बहुत बड़ी और मोटी किताब देते हुए कहा, “अगर तुम्हें सफलता का मंत्र जानना है तो इसके लिए तुम्हें इस किताब को पढ़ना होगा। इस किताब के किसी एक पृष्ठ पर सफलता का मंत्र दिया हुआ है। जैसे ही तुम उसे पृष्ठ को पढ़ोगे, तो तुरंत तुम्हें वह मंत्र मिल जायेगा लेकिन शर्त यह है कि इस किताब को तुम शुरू से पढ़ोगे, यदि तुमने इसे कहीं बीच में से पढ़ा, तो वह मंत्र तुम्हें नहीं मिल पायेगा।”सुन्दर किसी भी तरह सफलता का मंत्र जानना चाहता था। अतः उसने साधु की शर्त मान ली और तुरंत उस किताब को शुरू से पढ़ना प्रारम्भ कर दिया। वह जल्दी से जल्दी उस पृष्ठ पर पहुँचना चाहता था, जहाँ सफलता का मंत्र लिखा हुआ था। अतः उसने किताब को लगातार पढ़ना जारी रखा। कब रात हुई और कब दिन, उसे बिल्कुल भी ध्यान नहीं था। वह खाना और पीना तक भूल गया था। हर समय किताब पढ़ता रहता था। नींद बहुत सताती, तो कुछ देर सो जाता लेकिन उठते ही पढ़ने बैठ जाता। सात दिन बाद जब वह किताब के आखिरी पृष्ठ पर पहुँचा, तो उसे लगा कि यह तो किताब का आखिरी पृष्ठ है, यहाँ पर मुझे सफलता का मंत्र मिलना तय है लेकिन जब वह किताब की आखिरी लाइन पर पहुँचा तो उसमें लिखा था-“अगर तुम्हें सफलता का मंत्र जानना है, तो इस किताब के पिछले ‘कवर’ पृष्ठ की जिल्द हटा कर देखो।”सुन्दर ने तुरंत पिछले ‘कवर’ पृष्ठ की जिल्द को हटाया, तो कुछ लाइनें वहाँ लिखी हुई थीं। उन्हें पढ़ते ही वह खुशी से उछलने लगा और चिल्लाने लगा, “मुझे सफलता का मंत्र मिल गया। मुझे सफलता का मंत्र मिल गया।” इतना कहकर वह फिर से उन लाइनों को पढ़ने लगा, जिनमें यह लिखा था- “जिस तरह तुमने इस किताब को पढ़ने के लिए अपने दिन और रात एक कर दिए, तुम्हें अपने खाने पीने का ध्यान नहीं रहा, हर समय सफलता का मंत्र खोजने के लिए लगातार किताब पढ़ते रहे, तुमने अपना हर पल इस किताब में सफलता का मंत्र ढूँढने में लगा दिया, किसी भी अन्य चीज़ के बारे में तुमने एक पल के लिए भी नहीं सोचा, लगातार उत्साह और लगन के साथ तुमने अपने प्रत्येक क्षण को मंत्र पाने में डुबो दिया। यदि इसी ललक और दृढ़ इच्छा के साथ तुम दुनिया के किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहोगे, तो कोई भी तुम्हें सफल होने से नहीं रोक सकता।”विवेकानन्द जी ने भी इस सफलता का मंत्र कुछ इस तरह बताया है- “अपना जीवन एक लक्ष्य पर निर्धारित करो। अपने पूरे शरीर को उस एक लक्ष्य से भर दो और हर दूसरे विचार को अपनी जिंदगी से निकाल दो। यही सफलता की कुंजी है।”(i) सुन्दर किस चीज से घबराता था और क्यों? उसकी एक अच्छी बात क्या थी?।(ii) सुन्दर साधु के पास क्यों गया? समझाकर लिखिए।(iii) साधु ने सुन्दर को सफलता का मंत्र पाने के लिए क्या करने को कहा? समझाकर लिखिए।(iv) सुन्दर को सफलता का मंत्र कैसे मिला? समझाकर लिखिए।(v) इस गद्यांश से आपको क्या शिक्षा मिलती है? |
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Answer» (i) सुन्दर मेहनत करने से घबराता था। वह ऐसे प्रत्येक कार्य से बचना चाहता था। जिसमें परिश्रम की आवश्यकता हो। उसमें एक अच्छी बात थी कि वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता था। (ii) सुन्दर साधु के पास सफलता का मंत्र लेने गया। वह साधु की कीर्ति से प्रभावित था और उसे विश्वास था कि ऐसे श्रेष्ठ साधु के पास सफलता का मंत्र अवश्य होगा जिसे पाकर वह सफल व्यक्ति बन सकता है। (iii) साधु ने सुन्दर को सफलता का मंत्र पाने के लिए एक मोटी पुस्तक देते हुए निर्देश दिया कि उस पुस्तक को पूरी की पूरी पढ़ना होगा। उसी के किसी पृष्ठ पर सफलता का मूल मंत्र लिखा है परंतु पुस्तक को आदि से लेकर अंत तक पढ़ना होगा। (iv) सुन्दर जल्दी से जल्दी सफलता का मूल मंत्र पाना चाहता था। वह बेहद उत्सुक था। अतः उसने खाना-पीना, सोना आदि कम करके निरंतर पुस्तक पढ़ना जारी रखा। अंतिम पृष्ठ पर लिखा था कि सफलता का मंत्र कवर’ पृष्ठ की जिल्द में छिपा है। वहीं पर लिखा था कि दृढ़ इच्छा के साथ दुनिया के किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है। (v) इस गद्यांश से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन का लक्ष्य निर्धारित करके दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ कर्म करना चाहिए। यही सफलता का मूल मंत्र है। |
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