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निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए - (a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुंबकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिंदु बदलता है पर दिशा निश्चित है (पूर्व से पश्चिम) । इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता है आप कण के प्रारम्भिक वेग के बारे में क्या कह सकते है ? (b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों एक बिंदु पर बदलते जाते है एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है । यदि यह मान लें की चुंबकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दुसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता क्या इसकी अंतिम चाल प्रारंभिक चाल के बराबर होगी ? (c) पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है जिसमे उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एकसमान एक वैधुत क्षेत्र है वह दिशा बताइए जिसमे एकसमान चुंबकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके ।

Answer» (a) प्रकोष्ठ में आवेशित कण अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता है । चुंबकीय क्षेत्र से विक्षेपित नहीं होता है अर्थात कण चुंबकीय कण चुंबकीय क्षेत्र के समान्तर गति कर रहा है ।
`:." "F=qvBsintheta`
अर्थात `sintheta=0`, तब `F=0`
या `theta=0`
अर्थात कण की गति चुंबकीय क्षेत्र के समान्तर है ।
(b) किसी आवेशित कण पर लगने वाला प्रबल चुंबकीय क्षेत्र कण के वेग की दिशा को बदलता है लेकिन उसके परिमाण को नहीं आठ कण की चाल समान रहेगी ।
(c) चूँकि इलेक्ट्रॉन एक ऋणावेशित कण है अतः ये विधुत क्षेत्र के धनात्मक सिरे की ओर विक्षेपित होगा अर्थात उत्तर की ओर अतः चुंबकीय को दक्षिण दिशा की ओर आरोपित करने पर इलेक्ट्रॉन अपने सरल रेखीय मार्ग से विचलित नहीं होगा । इलेक्ट्रॉन पश्चिम से पूर्व की ओर गति रहा है अतः समतुल्य धनावेश पूर्व से पश्चिम की दिशा में गति करेगा । अतः फ्लेमिंग के वाम - हस्त नियम बायें हाथ के नियम) से चुम्बकीय क्षेत्र को ऊर्ध्वाधरतः नीचे की दिशा में आरोपित करना चाहिए ।


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