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न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती है, नचाती हैं ।

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वर्तमान में न्यायालय भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं रहा है । वकीलों का धर्म भी मानो धन कमाना ही हो । धन के लिए गलत व्यक्ति के लिए लड़ते हैं तभी अलोपीदीन जैसे भ्रष्ट, न्यायालय से मुक्त हो जाते हैं । इस प्रकार न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने है, इन्हें वह जैसे चाहती है नचाती है ।



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