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पारिस्थितिकी तंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए। पारिस्थितिकी तंत्र के अंगों तथा उनकी परस्पर निर्भरता के बारे में संक्षेप में लिखिए।

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किसी क्षेत्र विशेष के समस्त पेड़-पौधे एवं जीव-जन्तु उनके भौतिक वातावरण में परस्पर निर्भर तथा एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। इस प्रकार एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। इस प्रकार पारिस्थितिकी तंत्र पारस्परिक निर्भरता से निर्मित भौतिक वातावरण एवं उसमें रहने वाले जीवों का तंत्र है।

पौधे, प्राणी, मनुष्य तथा वातावरण पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न अंग हैं।
पौधे पृथ्वी का प्रमुख प्राकृतिक अंग हैं जो सूर्य के प्रकाश से अपना भोजन बना सकते हैं। पौधे किसी भी देश के प्राकृतिक संसाधनों की रीढ़ हैं। किसी क्षेत्र के पादपों की प्रकृति काफी हद तक उस क्षेत्र के प्राणी जीवन को प्रभावित करती है। जब वनस्पति बदल जाती है तो प्राणी जीवन भी  बदल जाता है। मानव भी पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न अंग है। वे वनस्पति तथा वन्य जीवन का उपभोग करते हैं। किसी भी क्षेत्र के पादप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौतिक पर्यावरण से अंतर्संबंधित होते हैं।



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