| 1. |
Parisham ka mahatav niband |
|
Answer» परिश्रम के लाभ : परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है। परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरू करते हैं और कहाँ-से-कहाँ पर पहुंच जाते है। जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है। महापुरुषों के उदाहरण : हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे। बहुत से ऐसे महापुरुष थे जो परिश्रम के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था। डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्ण जी अपने परिश्रम के बल पर ही राष्ट्रपति बने थे। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान व्यक्ति बने थे। आलस्य से हानियाँ : आलस्य से हमारा जीवन एक अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति ही परावलम्बी होता है। आलसी व्यक्ति कभी-भी पराधीनता से मुक्त नहीं हो पाता है। हमारा देश बहुत सालों तक पराधीन रह चुका है। इसका मूल कारण हमारे देश के व्यक्तियों में आलस और हीन भावना का होना था। जैसे-जैसे लोग परिश्रम के महत्व को समझने लगे वैसे-वैसे उन्होंने अपने अंदर से हीन भावना को खत्म कर दिया और आत्मविश्वास को पैदा किया। ऐसा करने से भारत देश एक दिन पराधीन से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गया और लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखने लगे। परिश्रम से ही कोई व्यक्ति छोटे से बड़ा बन सकता है। अगर विद्यार्थी परिश्रम ही नहीं करेगा तो वह परीक्षा में कभी-भी सफल नहीं हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है वह संसार के लिए सडकों, भवनों, मशीनों और डैमों का निर्माण करता है। बहुत से कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर ही अपनी रचनाओं से देश को वशीभूत किया है। अगर आज देश के लोग आलस करते है तो आज हमे जो विशेष उपलब्धियां प्राप्त हैं वे कभी प्राप्त नहीं होते। उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है। परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है। |
|