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पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्त्व है ?

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पहले शेर में कवि ने आजादी के बाद की मोह-भंग की स्थिति का बड़ा ही यथार्थपूर्ण एवं कलात्मक वर्णन किया है। यहाँ चिराग शब्द पहली बार बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है और दूसरी बार एकवचन में प्रयुक्त हुआ है। ऐसा कवि ने मोह भंग की तीखी व्यंजना हेतु किया है। पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द का बहुवचन “चिरागाँ’ का प्रयोग हुआ है।

यहाँ चिरागाँ आम आदमी की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हुआ है। अर्थात् आजादी के बाद हर घर में खुशहाली होगी। सभी को रोटी, कपड़ा, मकान, मयस्सर होगा। दूसरी बार ‘चिराग’ एकवचन में प्रयुक्त हुआ है जो इस बात का बोधक है कि हमने जिन बुनियादी आवश्यकताओं के सपने देखे थे, उनमें से बहुत कम हाथ लगें हैं।

‘चिरागौँ’ (बहुवचन) का प्रयोग जनता के सपने है और ‘चिराग’ (एकवचन) आजादी के बाद की मोहभंग की हकीकत है। एक ही शब्द के प्रतीकात्मक एवं लाक्षणिक प्रयोग से अद्भुत काव्य सौंदर्य का समावेश हो गया है।



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