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प्राचीन भारत में रसायनविद्या में साधी गयी प्रगति का वर्णन कीजिए । |
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Answer» प्रस्तावना: भारत के बारे में पश्चिमी देशों की आलोचना थी की वह धर्म और तत्त्वचिंतन में डूबा हुआ देश है । उसके पास आध्यात्मिक और रूढ़िगत दृष्टिकोण है परंतु वैज्ञानिक दृष्टि का अभाव है । आधुनिक संशोधनों के पश्चात् सिद्ध हो गया है और पूर्व आलोचक भी स्वीकारने लगे हैं कि गणितशास्त्र, खगोलशास्त्र, वैदिक विद्या, रसायनशास्त्र, खगोलशास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति करके अमूल्य विरासत विश्व को प्रदान की है । रसायन विद्या:
7 टन वजन और 24 फूट ऊँचा सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमाद्वितीय) द्वारा बनाया गया विजय स्तंभ अभी तक वर्षा, धूप, छाँव के उपरांत अभी तक काट (जंग) नहीं लगा है । यह भारतीय रसायनविद्या का उत्तम नमूना है । निष्कर्ष: प्राचीन भारत के विज्ञान का ज्ञान विश्व में स्वीकार्य हुआ है । हमारी संस्कृति विशाल और वैविध्यपूर्ण है । उसमें धर्म और विज्ञान, परंपरागत आदर्शों, व्यवहारिक ज्ञान और समाज का सुमेल समन्वय हुआ है, जो विश्व के अधिकांश देशों में कम है । |
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