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प्राथमिकता शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में सरकार द्वारा चलायी जा रही निम्नलिखित योजनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए(1) अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम,(2) राष्ट्रीय पोषणिक सहायता कार्यक्रम,(3) महिला समानता के लिए शिक्षा,(4) माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा।

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(1) अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम
शिक्षा सम्बन्धी राष्ट्रीय नीति और कार्रवाई कार्यक्रम, 1986 ई० के अनुसार देश में एक सक्षम संस्थागत आधारभूत ढाँचा खड़ा करने हेतु शैक्षणिक और तकनीकी संसाधन आधार अभिमुखीकरण, प्रशिक्षण और ज्ञान के सतत उन्नयन, देश में प्राथमिक विद्यालय शिक्षक की सामर्थ्य और शैक्षणिक कौशल बढ़ाने के लिए 1987 ई० में अध्यापक शिक्षा की पुनर्संरचना और पुनर्गठन के लिए केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना शुरू की गयी थी। इस स्कीम के निम्नलिखित पाँच घटक थे
⦁    सभी जिलों में जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना करना।
⦁    अध्यापक शिक्षा महाविद्यालयों का सुदृढ़ीकरण और उनमें से कुछ का शिक्षा के उच्च अध्ययन संस्थानों के रूप में विकास करना।
⦁    राज्यों के शैक्षणिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषदों का सुदृढीकरण।
⦁    विद्यालय अध्यापकों के लिए विशेष अभिमुखी कार्यक्रम और अध्यापक प्रशिक्षण से दूरस्थ शिक्षा पद्धति शुरू करना।
⦁    विश्वविद्यालयों में शिक्षा संकायों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण।
(2) राष्ट्रीय पोषणिक सहायता कार्यक्रम
देश में पहली बार प्राथमिक शिक्षा के लिए पोषणिक सहायता का एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम 15 अगस्त, 1995 ई० को आरम्भ किया गया था। इसका उद्देश्य प्राथमिकता शिक्षा के सार्वभौमीकरण को बढ़ावा देना और प्राथमिक कक्षाओं में छात्रों के पोषण में अभिवृद्धि करना था। कार्यक्रम का अन्तिम लक्ष्य पौष्टिक पके हुए वे सन्तुलित भोजन की व्यवस्था करना था, जिसमें 100 ग्राम गेहूँ या चावल के बराबर कैलोरी हो। इसका वितरण पंचायतों और नगरपालिकाओं के माध्यम से किया जाना है जिनको इस प्रयोजन हेतु संस्थागत प्रबन्ध विकसित करना है।
(3) महिला समानता के लिए शिक्षा
भारत सरकार द्वारा स्वतन्त्रता-प्राप्ति के समय से ही विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में लिंग सम्बन्धी असमानताओं को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। 1986 ई० की राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा 1992 ई० की संशोधित नयी शिक्षा-नीति स्वीकार करने के बाद से इन प्रयासों को विशेष बल मिला है। नयी शिक्षा नीति में महिलाओं के हित संरक्षण का संकल्प व्यक्त किया गया है कि विकास की प्रक्रिया में लड़कियों व महिलाओं की भागीदारी के लिए उनकी शिक्षा सबसे महत्त्वपूर्ण लक्ष्य है। सरकारी और गैर-सरकारी प्रयत्नों के परिणामस्वरूप स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् महिलाओं की साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1951 ई० में महिला साक्षरता मात्र 7.3 प्रतिशत थी, जबकि 2011 ई० में यह बढ़कर 65.46 प्रतिशत हो गयी।
(4) माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा
वर्ष 1950-51 से 2010-11 ई० तक माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित उल्लेखनीय प्रगति हुई
⦁    माध्यमिक स्तर के शिक्षा संस्थान 7,416 से बढ़कर 2.15 लाख हो गये।
⦁    माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की संख्या 13.3 प्रतिशत से बढ़कर 72.10 प्रतिशत पर पहुँच गयी।
⦁    लड़कियों के दाखिले 2 लाख से बढ़कर 1 करोड़ हो गये।
उच्च शिक्षा की दृष्टि से भी देश प्रगति की ओर अग्रसर है। वर्तमान में देश में 376 विश्वविद्यालय, 131 सम-विश्वविद्यालय और 113 निजी विश्वविद्यालय हैं, जो उच्च शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। देश में कॉलेजों की कुल संख्या 16,615 है। देश के सभी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या 1 करोड़ से ऊपर है, जबकि अध्यापकों की संख्या 4.16 लाख है।



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