InterviewSolution
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प्रधानमन्त्री की नियुक्ति कैसे होती है ? उसके अधिकारों एवं कार्यों (कर्तव्यों) का वर्णन | कीजिए।याप्रधानमन्त्री के किन्हीं दो कार्यों एवं शक्तियों का उल्लेख कीजिए।याप्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार की जाती है? भारतीय शासन में प्रधानमन्त्री की स्थिति की व्याख्या कीजिए। |
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Answer» प्रधानमन्त्री की नियुक्ति प्रधानमन्त्री केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् का मुखिया होता है । संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार, “प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। किन्तु व्यवहार में राष्ट्रपति उस राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है, जिसका लोकसभा में बहुमत होता है। यदि लोकसभा में एक दल का बहुमत न होने पर दो या अधिक दल परस्पर अपना गठबन्धन बनाकर नेता चुन लेते हैं तो राष्ट्रपति ऐसे गठबन्धन के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है। यदि लोकसभा में किसी भी दल या दलों के गठबन्धन को बहुमत प्राप्त नहीं होता तो राष्ट्रपति स्वविवेक से किसी भी व्यक्ति को प्रधानमन्त्री नियुक्त कर सकता है। जुलाई, 1979 ई० में चौ० चरण सिंह की प्रधानमन्त्री के रूप में नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अपने विवेक के प्रयोग का एक ज्वलन्त उदाहरण है। प्रधानमन्त्री के कार्य (शक्तियाँ) तथा महत्त्व प्रधानमन्त्री के निम्नलिखित कार्यों से उसकी शक्तियों तथा महत्त्व का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है 1. मन्त्रिपरिषद्को निर्माता- राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री को नियुक्त करता है तथा उसके बाद प्रधानमन्त्री की सलाह से अन्य मन्त्रियों तथा उनके विभागों का वितरण करता है। प्रधानमन्त्री किसी भी मन्त्री के विभाग में फेर-बदल कर सकता है। 2. मन्त्रिपरिषद् का अध्यक्ष– प्रधानमन्त्री केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् का अध्यक्ष तथा नेता होता है। वह मन्त्रिपरिषद् की बैठकों में अध्यक्षता करता है तथा उसकी कार्यवाही का संचालन भी करता है। मन्त्रिपरिषद् के सभी निर्णय उसकी इच्छा से प्रभावित होते हैं। मन्त्रिपरिषद् यदि देश की नौका है तो प्रधानमन्त्री उसका नाविक। यदि किसी मन्त्री की राय प्रधानमन्त्री से नहीं मिलती है तो प्रधानमन्त्री ऐसे मन्त्री को त्याग-पत्र देने के लिए बाध्य कर सकता है अथवा उसे राष्ट्रपति द्वारा मन्त्रिपरिषद् से हटवा सकता है। 3. कार्यपालिका का प्रधान- राष्ट्रपति देश की कार्यपालिका का नाममात्र का प्रधान होता है। कार्यपालिका की वास्तविक शक्ति प्रधानमन्त्री में निहित होती है। अत: अप्रत्यक्ष रूप से देश का मुख्य शासक प्रधानमन्त्री होता है। 4. शासन का प्रमुख प्रबन्धक- देश की शासन-व्यवस्था को विभिन्न विभागों तथा मन्त्रालयों में बाँटना, मन्त्रियों में विभागों का वितरण करना, मन्त्रालयों की नीतियाँ तय करना तथा उनमें समय-समय पर अपेक्षित परिवर्तन करना आदि कार्य प्रधानमन्त्री की इच्छा तथा निर्देश पर निर्भर होते हैं। इस प्रकार प्रधानमन्त्री ही देश के शासन का प्रमुख प्रबन्धक होता है। 5. लोकसभा का नेता- लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होने के कारण वह लोकसभा काअधिवेशन बुलाने, कार्यक्रम निश्चित करने तथा सत्र स्थगित करने का निर्णय लेती है। वह लोकसभा में अपने मन्त्रिमण्डल का नेतृत्व करता है तथा शासन सम्बन्धी नीतियों की घोषणा करता है। वह राष्ट्रपति को लोकसभा भंग करने का भी परामर्श दे सकता है। 6. राष्ट्रपति एवं मन्त्रिपरिषद् तथा राष्ट्रपति एवं संसद के बीच की कड़ी– प्रधानमन्त्री राष्ट्रपति और मन्त्रिपरिषद् के बीच की कड़ी का कार्य करता है। वह मन्त्रिमण्डल की नीतियों, निर्णयों आदि की। जानकारी राष्ट्रपति को देता है तथा राष्ट्रपति के निर्णयों से वह मन्त्रियों को अवगत कराता है। इसी प्रकार प्रधानमन्त्री राष्ट्रपति तथा संसद के बीच की कड़ी के रूप में कार्य करता है। वह राष्ट्रपति को संसद की कार्यवाही से अवगत कराता है तथा राष्ट्रपति के सुझावों को संसद तक पहुँचाता है। 7. नियुक्तियाँ सम्बन्धी अधिकार- राष्ट्रपति के द्वारा मन्त्रियों, राज्यपालों, न्यायाधीशों, राजदूतों, विभिन्न आयोगों, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य इत्यादि की जितनी भी नियुक्तियाँ की जाती 8. अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व– अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारतीय प्रधानमन्त्री का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। चाहे विदेश विभाग प्रधानमन्त्री के हाथ में हो या नहीं, फिर भी अन्तिम रूप से | विदेश नीति का निर्णय प्रधानमन्त्री ही करता है। भारत की पुट-निरपेक्षता की विदेश नीति भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू जी की ही देन है। 9. शासन का प्रमुख प्रवक्ता– देश तथा विदेश में प्रधानमन्त्री ही शासन की नीति को प्रमुख तथा अधिकृत प्रवक्ता होता है। यदि कभी संसद में किन्हीं दो मन्त्रियों के आपसी विरोधी वक्तव्यों के कारण भ्रम और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो प्रधानमन्त्री का वक्तव्य ही इस स्थिति को समाप्त कर सकता है। 10. देश का सर्वोच्च नेता तथा शासक- प्रधानमन्त्री देश का सर्वोच्च नेता तथा शासक होता है। देश का समस्त शासन उसी की इच्छानुसार संचालित होता है। यह व्यवस्थापिका से अपनी इच्छानुसार कानून बनवा सकता है और संविधान में आवश्यक संशोधन भी करवा सकता है। 11. आम चुनाव प्रधानमन्त्री के नाम पर- देश के आम चुनाव (सामान्य निर्वाचन) प्रधानमन्त्री के नाम पर ही कराये जाते हैं। आम चुनाव प्रधानमन्त्री का ही चुनाव होता है। इस प्रकार आम चुनाव | स्वाभाविक रूप से प्रधानमन्त्री की प्रतिष्ठा व शक्ति में बहुत वृद्धि कर देते हैं। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रधानमन्त्री राष्ट्र का नेता होता है; क्योंकि देश के शासन की सम्पूर्ण बागडोर उसके हाथ में होती है। व्यावहारिक दृष्टि से देश का समस्त शासन उसी की इच्छानुसार संचालित होता है। |
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