InterviewSolution
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पूँजी क्यों है? व्यवसाय में पूँजी के महत्त्व का वर्णन कीजिए।अथवाउत्पादन के साधन के रूप में पूँजी के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।अथवापूँजी क्या है? अन्य उत्पादन के साधनों की तुलना में पूँजी अधिक महत्त्वपूर्ण है। विवेचना कीजिए। |
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Answer» पूँजी से आशय साधारण बोलचाल में, पूँजी का अर्थ ‘रुपये-पैसे’ या ‘धन-सम्पत्ति से लगाया जाता है। अर्थशास्त्र में मनुष्य द्वारा उत्पादित धन के उस भाग को पूँजी कहते हैं, जो अधिक धन उत्पादन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। सामान्यतः ‘पूँजी’ शब्द का अर्थ धन, द्रव्य या सम्पत्ति से लगाया जा सकता है। प्रो. मार्शल के अनुसार, “प्रकृति की नि:शुल्क देन के अतिरिक्त वह सब सम्पत्ति, जिससे आय प्राप्त होती है, पूँजी कहलाती है।” प्रो. चैपमैन के अनुसार, “पूँजी वह धन है, जिससे आय प्राप्त होती है अथवा जो आय का उत्पादन करने में सहायक होती है।” प्रो. टॉमस के अनुसार, “पूँजी, भूमि को छोड़कर, व्यक्ति और समाज की सम्पत्ति का वह भाग है, जिसका प्रयोग और अधिक धन उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।” एडम स्मिथ के अनुसार, “पूँजी, किसी मनुष्य के भण्डार का वह भाग है, जिससे वह आय प्राप्त करने की आशा करता है।” पूँजी के कार्य एवं महत्त्व वर्तमान में पूँजी का अत्यधिक महत्त्व है। इसकी सहायता से ही बड़े पैमाने पर उत्पादन यातायात व संचार के साधनों का विकास, उच्च जीवन-स्तर, देश को आर्थिक विकास, नई मशीनों व यन्त्रों का निर्माण, आदि किया जा सकता है। इससे राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होती है। 1. बिक्री की व्यवस्था करना उत्पादक को अपनी वस्तुएँ बेचने के लिए विज्ञापन के विभिन्न साधनों का सहारा लेना पड़ता है; जैसे-रेडियो, टेलीफोन, समाचार-पत्र या पत्रिकाएँ, टेलीविजन, आदि। इन सभी प्रकार के विज्ञापनों के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है। 2. उत्पादन में निरन्तरता बनाए रखना पर्याप्त पूँजी के उपलब्ध होने पर उत्पादन लगातार चलता रहता है। अतः उत्पादन की निरन्तरता में पूँजी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 3. जीवन-निर्वाह की व्यवस्था करना पूँजी के द्वारा ही श्रमिकों को भोजन, कपड़ा व आवासीय सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। श्रमिक अपने जीवन का निर्वाह पूँजी के माध्यम से ही करता है। मजदूरी के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है। 4. कच्चे माल की व्यवस्था करना पूँजी के द्वारा ही उद्योग को संचालित करने के लिए कच्चा माल, कोयला, लोहा, बिजली, आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। अतः पूँजी का कच्चे माल की व्यवस्था करने में अत्यन्त महत्त्व होता है। 5. देश के आर्थिक विकास में सहायक पूँजी की पर्याप्त मात्रा होने से उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है। अतः पूँजी राष्ट्र के आर्थिक विकास में सहायक होती है। 6. मशीन, यन्त्र, आदि की व्यवस्था करना पूँजी के द्वारा ही आधुनिक मशीनों व यन्त्रों को खरीदा जा सकता है। 7. श्रम की उत्पादकता में वृद्धि करना श्रम की उत्पादकता बढ़ाने में पूँजी को महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। पूँजी के द्वारा क्रय किए गए यन्त्रों एवं औजारों के प्रयोग से श्रमिक की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। 8. साख की व्यवस्था करना वर्तमान युग साख का युग है। आजकल उद्योग व व्यापार के क्षेत्र में हर जगह उधार लेन-देन की आवश्यकता होती है। व्यापारियों में अधिकांश लेन-देन उधार ही होते हैं। पूँजी के बल पर ही सभी उधार लेन-देन किए जाते हैं। पूँजी निर्माण से ही साख निर्माण होता है। 9. प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग में सहायक पूँजी के द्वारा ही किसी राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है; जैसे–सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, खनिज उद्योग का विस्तार, आदि पूँजी के द्वारा ही सम्भव होते हैं। 10. आर्थिक ढाँचे को सुदृढ़ बनाने में सहायक पूँजी के द्वारा ही किसी देश की ऊर्जा के स्रोतों; जैसे-बिजली, पेट्रोलियम, अणु शक्ति, जल शक्ति, आदि का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है। पूँजी से परिवहन व संचार के साधनों का भी विकास किया जा सकता है। अतः पूँजी किसी राष्ट्र के आर्थिक ढाँचे को मजबूत बनाने में सहायक होती है। |
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