1.

पूर्ण स्पर्धावाले बाजार के लक्षणों को समझाइए ।

Answer»

जहाँ एकाधिकार का अभाव हो और असंख्य ग्राहक और विक्रेताओं की संख्या हो जिसमें तंदुरस्त स्पर्धा विक्रेताओं के बीच होने के कारण वस्तुओं की उचित (सर्वमान्य) कीमत के साथ गुणवत्ताशील वस्तुओं का उत्पादन होता हो ऐसी स्थितिवाले बाज़ार को पूर्ण स्पर्धा का बाज़ार कहते हैं ।

पूर्ण स्पर्धावाले बाजार की परिभाषा कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा देखें :
श्रीमति ज्होन रोबिन्सन के मतानुसार : “पूर्ण स्पर्धा का अस्तित्व वहीं होता है, जहाँ उत्पादक की उत्पादित वस्तु की माँग संपूर्ण मूल्य सापेक्ष होता है ।”

प्रो. लेक्टविच के मतानुसार : पूर्ण स्पर्धा एक ऐसी बाजार-व्यवस्था है कि जिसमें बाजार कीमत को प्रभावित कर सके उतनी बड़ी पीढ़ी समग्र बाजार में न होने के साथ बहुत-सी इकाईयों समानगुणी वस्तुओं का विक्रय करती हैं ।

पूर्ण स्पर्धावाले बाजार के लक्षण निम्नानुसार है :

(1) असंख्य क्रेता-विक्रेता : जहाँ ग्राहक या विक्रेता क्रमश: अपनी माँग और पूर्ति में परिवर्तन करके बाज़ार की स्थिति को प्रभावित नहीं कर सकते । अर्थात् क्रेता और विक्रेता कीमत निर्धारित न कर सकें बल्कि कीमत का स्वीकार करते हों । प्रवर्तमान कीमतों पर अपनी अनुकूलता के अनुसार क्रय-विक्रय करते हों ।

(2) समानगणी इकाईयाँ : पूर्णरूप से प्रतिस्थापनवाली वस्तुओं का उत्पादन होता है । उत्पादित सभी वस्तुओं की गुणवत्ता समान होती है । जैसे : एक ही गाँव के किसानों के चावल की फसल एकसमान हो ।

(3) बाज़ार व्यवहार का संपूर्ण ज्ञान : अन्य उत्पादक और विक्रेता किस कीमत वस्तुओं का विक्रय कर रहे हैं इसकी जानकारी सभी विक्रेताओं को होती है । ग्राहकों को भी बाज़ार में प्रवर्तमान कीमत और बाज़ार की स्थिति का संपूर्ण ज्ञान होता है । विक्रेता ग्राहकों की अज्ञानता का लाभ नहीं उठा सकते ।

(4) मुक्त प्रवेश : वस्तु के नए-नए ग्राहक माँग करने के लिए स्वतंत्र हों और उत्पादन-विक्रय के लिए किसी भी उत्पादक या विक्रेता पर कोई अंकुश न हो अर्थात् कोई भी ग्राहक या विक्रेता बाज़ार में प्रवेश कर सकता है । इसके अतिरिक्त साधनों की पूर्ण गतिशीलता, तर्कबद्ध व्यवहार, पूर्ण रोजगार, यातायात की संपूर्ण सुविधा ऐसे बाज़ार में उपलब्ध होनी चाहिए ।

(5) उत्पादन के साधन संपूर्ण गतिशील : पूर्ण स्पर्धावाले बाजार में उत्पादन के चारों साधन : जमीन, पूँजी, श्रम और नियोजक भौगोलिक, व्यावसायिक और उपयोग की दृष्टि से संपूर्ण गतिशील होते हैं ।

पूर्ण स्पर्धावाले बाजार में कीमत समान होती है । उसी प्रकार उत्पादन के साधनों का प्रतिफल समान होता है । इसलिए उत्पादन के साधन कम प्रतिफल से अधिक प्रतिफल की ओर स्थानांतरण करते हैं ।

(6) परिवहन खर्च अनुपस्थित : पूर्ण स्पर्धावाले बाजार में असंख्य क्रेता और असंख्य विक्रेता होते हैं । इस बाजार में परिवहन खर्च कुल खर्च का अल्प अंश होता है । इसलिए उसे गणना में नहीं लेते हैं । इसलिए वाहनव्यवहार खर्च शून्य होता है ऐसा स्वीकार कर लेने से वाहन-व्यवहार खर्च की अनुपस्थिति बाजार का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण होता है ।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions