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साख नियन्त्रण के उपायों के रूप में बैंक दर एवं खुले बाज़ार की क्रियाओं की व्याख्या कीजिए।

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बैंक दर- बैंक दर ब्याज की वह न्यूनतम दर है जिस पर किसी देश का केन्द्रीय बैंक दूसरे बैंकों को ऋण देने के लिए तैयार होता है। बैंक दर के बढ़ने से ब्याज की दर बढ़ती है तथा ऋण महंगा होता है।

खुले बाजार की क्रियाएं- खुले बाजार की क्रियाओं से आशय केन्द्रीय बैंक द्वारा खुले बाज़ार में प्रतिभूतियों को खरीदने तथा बेचने से है। मन्दी की स्थिति में केन्द्रीय बैंक खुले बाज़ार से प्रतिभूतियों को खरीदता है। इसके फलस्वरूप साख का विस्तार होता है तथा मांग में वृद्धि होती है। दूसरी ओर तेजी की स्थिति में केन्द्रीय बैंक प्रतिभूतियों को बेचता है, जिसके फलस्वरूप साख का संकुचन होता है तथा मांग में कमी होती है।



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