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सार्वजनिक क्षेत्र अर्थात् क्या ? इनके लक्षण समझाइए ।

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सार्वजनिक क्षेत्र का अर्थ : जिन संस्थाओं की मालिकी, संचालन व नियंत्रण सरकार के अधिन हो तो उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र कहते हैं ।

लक्षण : सार्वजनिक क्षेत्र के लक्षण निम्न होते है :

(1) आधारभूत मूलभूत उद्योगों की स्थापना : सार्वजनिक साहसों को स्थापित करने का उद्देश्य औद्योगीकरण में तेजी लाकर आधारभूत सुविधाएँ प्रदान करना है । इस हेतु बृहद पैमाने में पूँजी निवेश करना अनिवार्य होता है । स्वतंत्रता के बाद अधिक पूँजी निवेश करना निजी उद्योगों के लिये कठिन था । मूलभूत उद्योगों में बृहद पैमाने में निवेश करना जरूरी होता है । सरकार ऐसे उद्योगों में निवेश करके औद्योगिक विकास में तेजी लाई जाती है ।

(2) एकाधिकार समाप्त करना : औद्योगिक इकाई की मालिकी जब सरकार की होती है, तब निजी क्षेत्रों का एकाधिकार समाप्त हो जाता है ।

(3) सन्तुलित प्रादेशिक औद्योगिक विकास : निजी क्षेत्र के निवेशक पिछड़े विस्तारों में पूँजी निवेश के लिए आकर्षित नहीं होते है, ऐसे पिछडे विस्तारों में सरकार पूँजी निवेश करके संतुलित प्रादेशिक औद्योगिक विकास किया जाता है । जैसे राउरकेला, भिलाई, बोकारो आदि जैसे औद्योगिक पिछड़े विस्तारों में सरकार ने लोहे के कारखाने में पूँजी निवेश करके औद्योगिक विकास किया है ।

(4) समाज कल्याण का हेतु : निजी क्षेत्रों का हेतु अधिक लाभ कमाना होता है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्रों का हेतु लाभ के साथसाथ समाज कल्याण का भी होता है । सार्वजनिक साहस की इकाईयों द्वारा समाज के सभी वर्गों को भेदभाव बिना सेवाएँ दी जाती है । सार्वजनिक साहसों द्वारा औद्योगीकरण में तेजी लाकर के समस्त समाज का कल्याण करती है ।

(5) आय का नीचा स्तर : सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा बहुत ही कम आय कमाकर अपनी सेवाएँ दी जाती है । कई बार तो प्रारम्भिक समय में तो सार्वजनिक साहस की इकाईया नुकसान करती है, फिर भी सरकार चला लेती थी, लेकिन सन् 1991 से इस नीति में परिवर्तन आया है व सार्वजनिक क्षेत्र में सामान्य आय प्राप्त करें यह इच्छनिय है ।

(6) राष्ट्र हित की सुरक्षा : सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयाँ राष्ट्रीय हितों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुए है + जैसे संरक्षण के क्षेत्र के साधनों का उत्पादन सरकार करती है ।

(7) रोजगार के अवसरों का निर्माण : भारत जैसे विकासशील व अधिक जनसंख्यावाले देशों में रोजगार के अवसरों का निर्माण बहुत ही अनिवार्य है । सार्वजनिक क्षेत्रों में बृहद पैमाने में पूँजी निवेश होने से आनुषांगिक अथवा सहायक इकाईयों का भी विकास होता है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों का निर्माण होता है ।

(8) देश के आर्थिक विकास में सहायक : किसी भी देश के लिए आर्थिक विकास बहुत ही जरूरी है । सार्वजनिक क्षेत्र उद्योगों के . लिए जरूरी आधारभूत सुविधाओं का निर्माण करते हैं । जिससे नये उद्योगों का विकास होता है ।

(9) सामाजिक व आर्थिक न्याय : सार्वजनिक क्षेत्रों का संचालन सरकार के अधिन होता है अतः सरकार की नीतियों का पालन अनिवार्य रूप से होता है । इसके द्वारा समाज के कमजोर वर्गों को बिना मूल्य पर अथवा उचित दर पर सेवा, नौकरी की सुरक्षा, नौकरी की शर्ते, श्रम कानून का पालन, महिलाओं को अग्रिमता इत्यादि मामलों में सार्वजनिक इकाईयों में सकारात्मक अभिगम अपनाया जाता है । इस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएँ अधिक अच्छी तरह से सामाजिक न्याय प्रदान करती है ।

(10) आदर्श वेतन और सुविधाएँ : सार्वजनिक क्षेत्र की मालिकी सरकार की होने से इनके कर्मचारियों को उच्च वेतन स्तर अर्थात् मापदण्ड मिल सकते है । कर्मचारियों को निजी क्षेत्रों की अपेक्षाकृत अधिक अच्छी सुविधाएँ मिलती हैं । इस तरह, सरकार आदर्श मालिक बनने के लिए प्रयत्नशील रहती है ।



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