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‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में लेखक ने भ्रष्टाचार और उसके उन्मूलन के अनूठे उपायों पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?

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जब भ्रष्टाचार उन्मूलन की विशेषज्ञ समिति राजा को भ्रष्टाचार मिटाने के लिए व्यवस्था में परिवर्तन करने का सुझाव देती है तो राजा-दरबारियों से राय करता है। वे कहते हैं कि यह उचित योजना नहीं बल्कि एक मुसीबत है। इस योजना के आधार पर हमें व्यवस्था में अनेक बदलाव करने होंगे, जिसमें बहुत परेशानी हो सकती है। हमारी सारी व्यवस्था अव्यवस्था में बदल जाएगी। जो जैसा होता आ रहा है, यदि हम उसे बदलेंगे तो अनेक नई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। हमें तो कोई ऐसी योजना अपनानी चाहिए जिससे बिना व्यवस्था में बदलाव लाए ही भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए। भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के सुझावों को नहीं मानना यही सिद्ध करता है कि दरबारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त है।



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