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‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में लेखक ने किस समस्या को उठाया है और क्या संदेश देना चाहा है?

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लेखक ने अत्यंत रोचक कहानी के रूप में इस भ्रष्टाचार की समस्या को उजागर किया है और संदेश दिया है कि जब तक कर्मचारियों को उनके कार्य के अनुरूप उचित वेतन नहीं मिलेगा भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता। लेखक ने व्यंग्यात्मक आलेखों के अनुरूप सहज, व्यावहारिक तथा कटाक्षपूर्ण भाषा-शैली का प्रयोग किया है। उनके व्यंग्य चुटीले तथा अर्थपूर्ण हैं। साधु की तावीज़ के गुण सुनकर राजा का प्रसन्न होकर यह कहना कि उसे तो ज्ञात ही नहीं था कि उसके राज्य में ऐसे चमत्कारी साधु भी हैं। महात्मन्, हम आपके बहुत आभारी हैं। आपने हमारा संकट हर लिया। हम सर्वव्यापी भ्रष्टाचार से बहुत परेशान थे। मगर हमें लाखों नहीं, करोड़ों तावीज़ चाहिए। हम राज्य की ओर से तावीज़ों का कारखाना खोल देते हैं। आप उसके जनरल मैनेजर बन जाएं और अपनी देख-रेख में बढ़िया तावीज़ बनवाएं। टोटकों को मानने वालों पर तीक्ष्ण प्रहार है।



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