InterviewSolution
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शब्दों में लिखिए- यज्ञभूमि अयोध्या से भी सौ गुनी सुन्दर एक विशाल नगरी के रूप में सुसज्जित थी।आज उस नगरी का प्रातः और भी महत्त्वपूर्ण और चमत्कृत हो उठा है। सारे नगर काजन-समाज आज यज्ञ की ही नहीं, अपनी दैनिक दिनचर्या तक की बात भूलकर जहाँ-तहाँचित्रलिखित-सा खड़ा, अपने कानों द्वारा अलौकिक संगीत सुधा का पान कर रहा था, यहाँ तककि अयोध्यापति भी एकाग्र मन से यज्ञ नहीं कर सके। चारों ओर से उमड़ती हुई जो मधुरसंगीत-लहरी बढी चली जा रही थी. सारे समाज की भाँति उनका चित्त भी उसी मेंडूबने-उतराने लगा। पुरोहितगण मंत्र उच्चारण करना भूल गये। रामचन्द्र आहुति का पात्र हाथमें लिए उठ खड़े हुए। कदली पत्र से सुसज्जित वातायन से झाँक कर उन्होंने देखा- साक्षातकामदेव के अवतार से दो बालक वीणा पर अपना मधुर स्वर झंकृत करते हुए उसी ओर बढ़ेचले आ रहे हैं और उनके पीछे-पीछे अपार जन-समुदाय उसी संगीत लहरी में डूबता-उतराताचला आ रहा है।राजा रामचन्द्र की दृष्टि उन बालकों की छवि का आभास पाकर मुग्ध हो गई। उस छविमें न जाने कैसा आकर्षण था कि उनका हृदय एक बारगी ही उन बालकों की ओर खिंचने-सालगा। वे यज्ञ जैसे महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान कोभूलकरउन्हें देखने को खड़े हो गए।भाई की यह दशा देखकर लक्ष्मण ने समीप आकर उनकी तन्मयता भंग की- "महाराज,कल संध्या-समय यज्ञशाला में महर्षि वाल्मीकि का शुभागमन हुआ है। वे दोनों बालक उनकेशिष्य हैं। महर्षि ने एक महाकाव्य की रचना की है। दोनों बालक उसी काव्य को चारों ओरघूम-घूमकर यज्ञ में आए अतिथियों को सुना रहे हैं।" यज्ञभूमि की क्या विशेषता थी?(i) अयोध्यापति क्यों अप । मन एकाग्र न कर सके ?(iii) स्वर-लहरी का प्रभाव किन-किन पर और कैसा पड़ा?(iv) दोनों बालक किस ओर और कैसे बढ़े चले आ रहे थे?(v) लक्ष्मण जी ने रामचन्द्र जी का ध्यान कैसे भंग किया ? |
| Answer» U have to do it yourself | |