InterviewSolution
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शेयर पूँजी अर्थात् क्या ? शेयर पूँजी के प्रकार बताइए । |
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Answer» कंपनी की कुल पूँजी को हस्तान्तरण कर सके ऐसे छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित किया जाता है, ऐसे प्रत्येक विभाजित इकाई को शेयर कहते हैं । ऐसे विभिन्न इकाइयों से बनी कंपनी की कुल पूँजी को शेयर पूँजी कहते हैं । कंपनी अपनी पूँजी एकत्रित करने के लिये कानूनन विज्ञापन पत्र प्रकाशित कर लोगों को शेयर खरीदने के लिए आमंत्रित करती है । लोगों द्वारा शेयर की खरीदी करके कंपनी को पूँजी दी जाती है । शेयर पूँजी के प्रकार निम्नानुसार है : (1) अधिकृत पूँजी (Authorised/Nominal / Registered Capital) : वर्तमान या भविष्य में कंपनी अंशों द्वारा अधिक से अधिक कितनी रकम शेयर पूँजी के रूप में एकत्रित कर सकती है उसे कंपनी की अधिकृत पूँजी कहते हैं । इस पूँजी को कंपनी के मेमोरेन्डम में तथा पंजीयन के समय भी दर्शाये जाने से इसे रजिस्टर्ड पूँजी के रूप में भी जाना जाता है । भविष्य में आवश्यकता अनुसार विशेष सभा में सहमति से प्रस्ताव पास कर इसमें वृद्धि भी की जा सकती है । इस पूँजी को पंजीकृत, सत्तावार या नाम की पूँजी के रूप में भी जाना जाता है । (2) निर्गमित पूँजी/प्रकाशित पूँजी (Issued Capital) : अधिकृत पूँजी में से कंपनी अपनी आवश्यकता को ध्यान में रखकर संपूर्ण संख्या में या कम संख्या में शेयर प्रकाशित करे तो उस पूँजी को निर्गमित पूँजी या प्रकाशित पूँजी कहते हैं । (3) प्रार्थित पूँजी/आवेदित पूँजी (Subscribed Capital) : प्रकाशित शेयरों में से जितनी कीमत के शेयरों के लिये आवेदनपत्र आए उसे प्रार्थित या आवेदित पूँजी कहते हैं । प्रार्थित पूँजी प्रकाशित पूँजी जितनी अथवा उससे कम हो सकती है । प्रकाशित शेयर की अपेक्षा अधिक शेयर के लिए आवेदन आये तो कंपनी प्रकाशित शेयर जितने ही शेयर स्वीकार कर सकती है । अतिरिक्त शेयर आवेदनपत्र की रकम शेयर आवेदकों को वापस कर दी जाती है । (4) याचित पूँजी अथवा माँगी गयी पूँजी (Called up Capital) : कंपनी आवेदकों से दार्शनिक किंमत या उससे कम रकम माँग सकती है । इस प्रकार से मँगवाई गई शेयरपूँजी को याचित पूँजी या माँगी गई पूँजी कहते हैं । (5) नहीं माँगी गयी पूँजी (Uncalled Capital) : कंपनी के संचालक आवेदकों से शेयर की दार्शनिक किंमत से कम कीमत माँग सकते है, इस प्रकार नहीं मँगाई गई रकम को नहीं माँगी गयी पूँजी कहते हैं । नहीं माँगी गयी पूँजी अर्थात् प्रार्थित पूँजी और याचित पूँजी की रकम के बीच का अंतर । (6) वसूली आयी पूँजी या भरपाई हुई पूँजी (Paid-up Capital) : माँगी गयी पूँजी की रकम में से जितनी रकम शेयरधारकों के पास से कंपनी को मिले उस रकम को वसूल आयी पूँजी या भरपाई हुई पूँजी कहते हैं । यदि किसी कारण से कोई शेयर धारक मँगायी गयी रकम अंशत: या संपूर्ण न भरे तो मंगायी गयी पूँजी और वसूल आयी पूँजी की रकम में अंतर देखने को मिलता है । (7) अनामत पूँजी (Reserve Capital) : जब कंपनी के संचालकों को ऐसा लगे की याचित पूँजी अपने व्यवसाय के लिए पर्याप्त है और भविष्य में और अतिरिक्त पूँजी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ऐसी परिस्थितियों में शेयरधारकों की सभा में विशेष प्रस्ताव द्वारा नहीं माँगी गयी पूँजी अनामत पूँजी रखी जाती है । इस प्रकार अनामत के रूप में रखी गयी पूँजी को अनामत पूँजी या सुरक्षित पूँजी कहते हैं । |
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