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Answer» शिक्षा की दृष्टि से साधनहीन लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने और शिक्षा हेतु सामाजिक आधारभूत ढाँचे को मजबूत बनाने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ प्रारम्भ की गयी हैं, जो निम्नलिखित हैं ⦁ ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड (ओ०बी०) ⦁ जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (डी०पी०ई०पी०) ⦁ अनौपचारिक शिक्षा (एन०एफ०ई०) ⦁ शिक्षा गारण्टी योजना और वैकल्पिक तथा नवीन शिक्षा (ई०जी०एस०एण्डए०ई०आई०) ⦁ महिला समाख्या, शिक्षक शिक्षा (टी०ई०) ⦁ दोपहर के भोजन की योजना-लोक जुम्बिश, शिक्षाकर्मी परियोजना (जी०एस०के०पी०) ⦁ वर्ष 2001-02 में राज्यों के साथ मिलकर ‘सर्व शिक्षा अभियान उपर्युक्त योजनाओं में से तीन का वर्णन निम्नलिखित है, 1. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड – ‘प्रारम्भिक शिक्षा सबको दी जाए’ यह हमारी शिक्षा-नीति का एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य है। हमारे संविधान में 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान है। राष्ट्रीय शिक्षा-नीति, 1986 ई० और प्रोग्राम ऑफ ऐक्शन’ के अन्तर्गत प्राथमिक शिक्षा को सभी दृष्टियों से सुधारने के लिए कई सुझाव दिये गये हैं, इनमें से एक है – ‘ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड’। यह एक प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है। इसका लक्ष्य है-प्राथमिक स्कूलों को दी जाने वाली भौतिक सुविधाओं में आवश्यक सुधार। ‘ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड में अभी तक के सभी प्राइमरी स्कूलों को दी जाने वाली कम-से-कम सुविधाओं का स्तर निश्चित किया गया है। ⦁ प्रत्येक प्राथमिक स्कूल को कम – से – कम दो बड़े कमरे दिये जाएँ जो हर मौसम में काम आ सकें। उनके साथ एक बड़ा बरांडा और दो टॉयलेट होने चाहिए–एक लड़कों के लिए और दूसरा लड़कियों के लिए। ⦁ प्रत्येक प्राथमिक स्कूल में कम – से – कम दो शिक्षक होने चाहिए। अगर सम्भव हो सके तो एक महिला शिक्षिका भी होनी चाहिए। ⦁ प्रत्येक प्राथमिक स्कूल को आवश्यक अध्ययन-अध्यापन सामग्री दी जाए; जैसे – ग्लोब, नक्शे, शिक्षण-चार्ट, कार्यानुभव क्रियाकलापों के टूल्स, विज्ञान किट, गणित किट, पाठ्य-पुस्तकें, पाठ्यरूम, पत्रिकाएँ आदि। 2. अनौपचारिक शिक्षा – ऐसे बच्चे जो बीच में स्कूल छोड़ गये हैं या जो ऐसे स्थान पर रहते हैं, जहाँ स्कूल नहीं हैं या जो काम में लगे हैं और वे लड़कियाँ जो दिन के स्कूल में पूरे समय नहीं आ सकतीं, इन सबके लिए एक विशाल और व्यवस्थित अनौपचारिक शिक्षा का कार्यक्रम चलाया गया है। अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों में सीखने की प्रक्रिया को सुधारने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपकरणों की सहायता ली जाएगी। इन केन्द्रों में अनुदेशक के तौर पर काम करने के लिए स्थानीय समुदाय के प्रतिभावान् और निष्ठावान् युवकों और युवतियों को चुना जाएगा और उनके प्रशिक्षण की विशेष व्यवस्था की जाएगी। अनौपचारिक धारा में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे योग्यतानुसार औपचारिक धारा के विद्यालयों में प्रवेश पा सकेंगे। इस बात पर पूरा ध्यान दिया जाएगा कि अनौपचारिक शिक्षा का स्तर औपचारिक शिक्षा के समतुल्य हो। अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों को चलाने का अधिकतर कार्य स्वयंसेवी संस्थाएँ और पंचायती राज की संस्थाएँ करेंगी। इस कार्य के लिए इन संस्थाओं को पर्याप्त धन, समय पर दिया जाएगा। इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र का उत्तरदायित्व सरकार पर होगा। 3. सर्व शिक्षा अभियान – वर्ष 2001-02 में राज्यों के साथ मिलकर, सर्व शिक्षा अभियान, प्रारम्भ करके एक समयबद्ध समेकित दृष्टिकोण अपनाकर सभी को प्राथमिक शिक्षा देने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए महत्त्वपूर्ण उपाय किये गये। ‘सर्व शिक्षा अभियान’ की योजना को विकेन्द्रीकृत किया। जाएगा और सामुदायिक स्वामित्व और अनुवीक्षण को उच्चतम प्राथमिकता दी जाएगी। यह कार्यक्रम आगे चलकर विदेशी सहायता प्राप्त कार्यक्रमों सहित सभी मौजूदा कार्यक्रमों को अपनी संरचना में सम्मिलित कर लेगा, जिसमें कार्यक्रम कार्यान्वयन की इकाई जिला होगी। यह मिशन के रूप में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण हेतु एक केन्द्र प्रायोजित स्कीम है। इस नये ढाँचे के अन्तर्गत केन्द्रीय और केन्द्र द्वारा प्रायोजित श्रेणी में राज्यों की भागीदारी एवं परामर्श से प्राथमिक शिक्षा के सभी विद्यमान कार्यक्रमों को समाविष्ट किया जाना है। सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य निम्नलिखित हैं ⦁ वर्ष 2003 तक 6 – 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चे स्कूलों/शिक्षा गारण्टी केन्द्रों/ब्रिज पाठ्यक्रमों में हों। ⦁ वर्ष 2007 तक 6 – 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चे पाँच वर्ष की प्राथमिक शिक्षा पूरी करें। ⦁ वर्ष 2010 तक 6 – 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चे स्कूली शिक्षा के आठ वर्ष पूरे करें। ⦁ जीवन के लिए शिक्षा पर जोर देते हुए सन्तोषजनक स्तर की बुनियादी शिक्षा पर ध्यान देना। ⦁ प्राथमिक स्तर पर वर्ष 2007 तक और बुनियादी शिक्षा के स्तर पर वर्ष 2010 तक सभी लिंग – सम्बन्धी और सामाजिक वर्गीकरण के अन्तरों को समाप्त करना। ⦁ वर्ष 2010 तक सार्वजनिक तौर पर स्कूली शिक्षा लेना।
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