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शिवाजी की जीवनी और उपलब्धियों का वर्णन करें ​

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Explanation:

शिवाजी का जन्म शाहजी भोंसले की प्रथम पत्नी जीजाबाई की कोख से 10 अप्रैल, 1627 ई. को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था. शिवनेर का दुर्ग पूना से उत्तर जुन्नार नगर के पास था. उनकी जन्म-तिथि के सम्बन्ध में इतिहासकारों के बीच मतभेद है. कई जन्म-तिथियों का उल्लेख किया गया है जिनमें 20 अप्रैल, 1627, 19 फरवरी 1630 और 9 मार्च 1630 ई. विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.

शिवाजी का बचपन शेरशाह की तरह उपेक्षित रहा और वे सौतेली माँ के कारण बहुत दिनों तक पिता के संरक्षण से वंचित रहे. शाहजी भोंसले अपनी दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते पर अधिक आसक्त थे और जीजाबाई उपेक्षित और तिरस्कृत जीवन व्यतीत कर रही थीं. परन्तु जीजाबाई उच्च कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभा-सम्पन्न महिला थीं. जीजाबाई यादव वंश की थीं और उनके पिता एक शक्तिशाली सामंत थे. वह धार्मिक प्रवृत्ति की थीं. उन्होंने अपने पुत्र को हिंदू धर्म के आदर्श पुरुषों की गाथा सुनाकर बचपन से ही उसे महान् बनने की प्रेरणा दी. बचपन में माँ ने पुत्र का चरित्र-निर्माण करने में आधारशिला का काम किया था. ऐसी माँएँ विरल होती हैं.

शिवाजी को हैदरअली और रणजीत सिंह की तरह नियमित शिक्षा नहीं मिली थी. उनकी माँ पैत्रिक जागीरदारी में ही रहती थीं. शाहजी भोंसले ने अपने विश्वासी सेवक दादाजी कोणदेव को शिवाजी का संरक्षक नियुक्त किया था. दादाजी कोणदेव एक वयोवृद्ध अनुभवी विद्वान् थे. उन्होंने शिवाजी की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें मौखिक रूप से रामायण, महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रन्थों से अवगत करवा दिया था. मानसिक विकास के साथ-साथ दादाजी कोणदेव ने शिवाजी को युद्ध-कला की शिक्षा दी थी. दादाजी कोणदेव से ही शिवाजी को प्रशासन का ज्ञान भी प्राप्त हुआ था. अतः जीजाबाई के अतिरिक्त दादाजी कोणदेव का प्रभाव शिवाजी के जीवन और चरित्र-निर्माण पर सबसे अधिक पड़ा था....

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