1.

सिद्ध कीजिये की आवेशित चालक की स्थितिज ऊर्जा `U = (1)/(2)CV^(2)` होती है, जहाँ C चालक की धारिता तथा V उसका विभव है।

Answer» जब किसी चालक को आवेशित किया जाता है, तो इसके लिए हमे कुछ कार्य करना पड़ता है। यही कार्य चालक में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है जिसे आवेशित चालक की ऊर्जा कहते है।
ऊर्जा का व्यंजक - माना कि चालक को Q आवेश देने पर उसका विभव V हो जाता है। चूँकि चालक के विभव में शून्य से क्रमश: वृद्धि होती है एवं अंतिम विभव V हो जाता है, अत: यह कहा जा सकता है कि सम्पूर्ण आवेश Q को औसत विभव `(0 + V)/(2) = (V)/(2)` पर दिया जाता है।
अत: चालक को आवेशित करने में किया गया कार्य
W = आवेश `xx` औसत विभव
`W = Q xx (V)/(2) = (1)/(2)QV`
चूँकि विद्युत क्षेत्र संरक्षी होता है, अत: चालक कि ऊर्जा
`U = W = (1)/(2)QV`...(1)
यही आवेश तथा विभव के पदों में आवेशित चालक की ऊर्जा का सूत्र है।
यदि चालक की धारिता C होम तो
`Q = C.V`....(2)
समी (1) से,
`U = (1)/(2) (CV) V = (1)/(2) CV^(2)`....(3)
यही धारिता तथा विभव के पदों में आवेशित चालक की ऊर्जा का सूत्र है।
पुन: `Q = CV`
`rArr V = (Q)/(C)`
अत: समी (1) से,
`U = (1)/(2) Q ((Q)/(C)) = (1)/(2) (Q^(2))/(C)`
यही आवेश तथा धारिता के पदों में आवेशित चालक की ऊर्जा का सूत्र है।
`:. U = (1)/(2) QV = (1)/(2) CV^(2) = (1)/(2) (Q^(2))/(C)`


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