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सरकारी कम्पनी की परिभाषा देते हुए उसके लक्षण समझाइए ।

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सरकारी कम्पनी का अर्थ : कम्पनी अधिनियम में उद्धृत परिभाषा के अनुसार “कोई भी कम्पनी जिसमें केन्द्र सरकार, राज्य सरकार या राज्य सरकारों अथवा केन्द्र सरकार सहित एक या एक से अधिक राज्य सरकारों के पास कुल अंश पूंजी के 51 प्रतिशत से अधिक शेयर हों तो वह सरकारी कम्पनी कहलायेगी ।”

सरकारी कम्पनी के शेयर अलग अधिकारियों के पद के नाम से खरीदे जाते हैं । इसमें राज्यपाल तथा राष्ट्रपति का भी समावेश किया जाता है । इसमें सरकार अंशधारी बनती है । इस कम्पनी की स्थापना, संचालन-विकास तथा विसर्जन कम्पनी अधिनियम के अनुसार किया जाता है । जैसे हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स लि. (HAL), हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लि. (HMT), हिन्दुस्तान स्टील (H.S.L.), BHEL इत्यादि ।

सरकारी कम्पनी के लक्षण :

(1) सरकार द्वारा स्थापना : सरकारी कंपनियों की स्थापना केन्द्र सरकार, राज्य सरकार या राज्य सरकारों या केन्द्र और राज्य सरकार संयुक्त रूप से करते हैं ।

(2) सरकार का संचालक-मंडल : सरकारी कम्पनी के संचालक मंडल में सरकारी अधिकारियों का बहुमत रहता है । क्योंकि 51% या उससे अधिक शेयर सरकार के पास रहते हैं । इस कारण संचालक-मंडल के सदस्य तथा अध्यक्ष की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है । यह सरकार द्वारा नियुक्त संचालक-मंडल सरकारी कम्पनी का संचालन करते हैं ।

(3) कम्पनी अधिनियम के अनुसार रचना : सरकारी कम्पनी की स्थापना के लिए कोई अलग अधिनियम नहीं हैं । कम्पनी के संचालकमंडल को तथा उसके अध्यक्ष को कम्पनी की स्थापना के उद्देश्य को स्पष्ट करना पड़ता है । सरकार इन कंपनियों के संचालन के दैनिक कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती है ।

(4) वार्षिक हिसाब एवं रिपोर्ट : निजी कम्पनी की तरह सरकारी कम्पनी को भी वार्षिक हिसाब तथा रिपोर्ट तैयार करके प्रस्तुत करना पड़ता है । यद्यपि उसके संचालक-मंडल में सरकारी अधिकारियों की संख्या ही अधिक होने के कारण इन हिसाबों की विशेष चर्चा नहीं की जाती। यदि कोई विशेष घटना हो तो संसद-सदस्य या सम्बन्धित मंत्री कम्पनी की रिपोर्ट एवं हिसाब की चर्चा करते हैं ।

(5) संचालक-मंडल द्वारा निर्णय : निजी कम्पनी का निदेशक-मंडल की तरह सरकारी कम्पनी का निदेशक-मंडल भी निर्णय लेता है तथा उसका अमल भी करता है ।

(6) सरकार द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति : सरकारी कम्पनी के अधिकारियों एवं पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकार करती है । कम्पनी के संचालन के लिए इन्हें सरकार के नीति-नियम से अवगत कराया जाता है । संलग्न विभाग में मंत्री से इन्हें कार्य करने की सूचना . मिलती रहती है ।

(7) कर्मचारियों के लिए स्वतंत्र नियम : कम्पनी के उच्च अधिकारी एवं पदाधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं । ये कर्मचारी सरकारी तंत्र का भाग नहीं कहलाते हैं । इनके लिए सरकारी कम्पनी एक स्वतंत्र नियम बनाती है ।

(8) कम्पनी द्वारा वित्तीय साधनों का प्रावधान : सरकारी कम्पनी के लिए वित्तीय साधनों का प्रावधान सरकारी विभाग से बिलकुल अलग है । सरकारी कम्पनी को आवश्यक वित्तीय साधनों की व्यवस्था स्वयं ही करनी पड़ती है । पूंजी में सरकार एवं नागरिकों की संयुक्त मालिकी होती है । किन्तु संचालन में सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण रहता है ।

(9) निजी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व : सरकारी कम्पनी में 51% पूँजी सरकार की रहती है तथा अन्य शेयर आम जनता के रहते हैं । इसलिए आम जनता के कुशल तथा निष्णात प्रतिनिधि तथा ग्राहक एवं मजदूर प्रतिनिधि को भी संचालक मंडल में स्थान दिया जाता है ।

(10) लाभ तथा सेवालक्षी प्रवृत्ति : सरकारी कम्पनी में मात्र सेवालक्षी प्रवृत्ति ही नहीं होती है । लाभ और सेवा का दोहरा समन्वय सरकारी कम्पनी में रहता है । जैसे कि : हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लि., हिन्दुस्तान स्टील लि. इत्यादि ।

समीक्षा : सरकारी कम्पनी के पास सरकार को पूंजीगत पीठबल प्राप्त रहता है तथा निजी क्षेत्र के कुशल एवं निष्णात उद्योगपतियों का प्रतिनिधित्व रहता है । इसलिए सरकारी कम्पनी ने उल्लेखनीय विकास किया है ।



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