| 1. |
Sumitranandan pant ka jeevan parichay Hindi main |
|
Answer» कवि सुमित्रानंदन पन्त का जन्म कुर्मांचल प्रदेश के अल्मोड़ा जिला के अंतर्गत कौसानी ग्राम में सन 1900 ई. में हुआ था | इनके माता-पिता ने बचपन में इनका नाम गुसाईं दत्त रखा था | माता-पिता :- इनकी माँ का निधन इनके जन्म के कुछ घंटों बाद ही हो गया | इनके पिता का नाम गंगादत्त पन्त था | पालन-पोषण :- माँ का निधन हो जाने के कारण इनका पालन-पोषण इनकी दादी के हाथों हुआ | केवल सात साल की उम्र में ही जब यह सातवी कक्षा में पढ़ रहे थे तभी इन्होने सबसे पहली बार छंद-रचना की | अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए ये जब अल्मोड़ा आये तब इन्होंनें अपना नाम सुमित्रानंदन पन्त रख लिया | इससे पहले इनका नाम गुसाईं दत्त था | प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करके 1919 में प्रयाग के म्योर सेंट्रल कॉलेज में अध्ययन के लिए प्रवेश किया | जीवन-काल :- सुमित्रानंदन पन्त जी ने पत्रिका का भी सम्पादन दिया, जिसका नाम ‘रूपाभ’ था | इसके बाद कई सालों तक यह आकाशवाणी ने उच्च पद पर आसीन रहे | पन्त जी ने अपना पूरा जीवन अविवाहित ही बिताया और अपना जीवन माँ-भारती के चरणों में समर्पित कर दिया | इनकी रूचि कवित में बचपन से ही कुछ ज्यादा थी | काव्य-रचना :- सन 1950 ई. में यह आकाशवाणी में सम्बद्ध हुए और प्रयाग में रहकर साहित्य-सृजन करते रहें | इनके ‘कला’ और ‘बूढ़ा चाँद’ पर साहित्य अकादमी, ‘लोकायतन’ पर सोवियत और ‘चिदम्बरा’ पर ज्ञानपीठ पुरूस्कार प्राप्त हुए | पन्तजी ने सुन्दरम के कवि के रूप में अपना साहित्यिक जीवन शुरू किया | इनकी शुरुवाती रचनाओं ‘वीणा’, ‘ग्रंथि’, ‘पल्लव’, और ‘गुंजन’ में इन्होने प्रकृति के विभिन्न रूपों का सुन्दर अभिनन्दन किया है | |
|