InterviewSolution
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सूक्ष्मजीवों का प्रयोग रसायन उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों के प्रयोग को कम करने के लिए भी किया जाता है। यह किस प्रकार संपन्न होगा ? व्याख्य कीजिए। |
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Answer» आज पर्यावरण प्रदूषण चिंता का एक प्रमुख कारण है। कृषि उत्पादों की बढ़ती माँगों को पूरा करने के लिये रसायन उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है इसके प्रयोग से प्रदूषण फैलता है। जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव हैं जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाता है। जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होता है। लेग्यूमिनस पादपों की जड़ों पर स्थित ग्रंथि हैं इन ग्रंथियों का निर्माण राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा होता है। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते है। पादप इसका प्रयोग पोषक रूप में करते हैं। अन्य जीवाणु ( एजोस्पाइरिलम, एजोबैक्टर इत्यादि) मृदा में मुक्तावस्था में रहते हैं। यह भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर सकते हैं। कवक पादपों के साथ सहजीवी संबंध स्थापित करते हैं। ऐसे संबंधों से युक्त पादप कई अन्य लाभ जैसे मूलवातोड़ रोगजनक के प्रति प्रतिरोधकता, लवणता तथा सूखे के प्रति सहनशीलता तथा कुलवृद्धि एवं विकास प्रदर्शित करते हैं। सायोनोबैक्टोरिया स्वपोषित सूक्ष्मजीव है, जो जलीय तथा स्थलीय भू-मंडल में विस्तृत रूप से पाए जाते हैं इनमें बहुत से वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर सकते हैं। पादप रोगों तथा पीड़कों के नियंत्रण के लिए जैव वैज्ञानिक विधि का प्रयोग ही जैव नियंत्रण है। आधुनिक समाज में ये समस्याएँ रसायनों, कीटनाशियों तथा पीड़क- नाशियों के बढ़ते प्रयोगों की सहायता से नियंत्रित की जाती हैं। ये रसायन मनुष्यों तथा जीव-जंतुओं के लिये अत्यंत ही विषैले तथा हानिकारक हैं। ये पर्यावरण (मृदा तथा भूमिगत जल) को प्रदूषित करते हैं तथा फलों, साग-सब्जियों और फसलों पर भी हानिकारक प्रभाव डालते हैं। खरपतवारनाशियों का प्रयोग खरपतवार को हटाने के लिए किया जाता है, यह भी हमारी मृदा को प्रदूषित करते हैं। बैक्टीरिया बैसीलस धूरिजिएन्सिस (Bt) का प्रयोग बटर- फ्लाई केटरपिलर नियंत्रण में किया जाता है । बैक्यू-लोवायरोसिस ऐसे रोगजनक है जो कीटों तथा संधिपादों पर हमला करते है। न्यूक्लिओपॉली हाइड्रोसिस, बवायरस (NPU) प्रजाति की विशेष संकरें स्पेक्ट्रम कीटनाशीय उपचारों के लिए उत्तम माने गये हैं। |
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