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Answer» स्वामी दयानन्द की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं ⦁ सब सत्य, विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सबका मूल परमेश्वर है। ⦁ ईश्वर निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, अजन्मा, सर्वव्यापकता, अजर-अमर, पवित्र और सृष्टिकर्ता है। उसी की उपासना करनी चाहिए। ⦁ वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक हैं। वेदों को पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना आर्यों का परम धर्म है। ⦁ सत्य को ग्रहण करने और असत्य को त्यागने में सदा उद्यत रहना चाहिए। ⦁ सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए। ⦁ संसार का उपकार करना आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना। ⦁ व्यक्ति के साथ उसके गुणों के अनुरूप प्रेम तथा न्याय का व्यवहार करना चाहिए। ⦁ अविद्या का नाश तथा विद्या की वृद्धि करनी चाहिए। ⦁ प्रत्येक को अपनी उन्नति में सन्तुष्ट नहीं रहना चाहिए, किन्तु सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए। ⦁ व्यक्ति को आचरण की स्वतन्त्रता व्यक्तिगत क्षेत्र में होनी चाहिए, किन्तु सार्वजनिक क्षेत्र में लोककल्याण को सर्वोपरि मानना चाहिए। सार्वजनिक हित के समक्ष व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का महत्त्व नहीं है।
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