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स्वतंत्रता के समय भारत में आधारिक संरचना की क्या स्थिति थी?

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औपनिवेशिक शासन के दौरान देश में रेलों, पत्तनों, जल परिवहन व डाकतार आदि का विकास हुआ किंतु इसके पीछे ब्रिटिश प्रशासकों का उद्देश्य जन-साधारण को अधिक सुविधाएँ उपलब्ध कराना नहीं था बल्कि अपने हितों का संवर्द्धन करना था। सड़कों का निर्माण इसलिए किया गया कि देश के भीतर उनकी सेवाओं के आवागमन में सुविधा हो तथा माल को निकट की मण्डियों तक पहुँचाया जा सके। रेलों के विकास ने कृषि के व्यवसायीकरण को प्रोत्साहित किया, निर्यात व्यापार की माँग में विस्तार हुआ। आंतरिक व्यापार एवं जलमार्गों के विकास पर भी ध्यान दिया गया। डाक सेवाओं का भी विस्तार किया गया। स्वतंत्रता के समय भारत की आधारिक संरचना की स्थिति इस प्रकार थी
रेलवे लाइन की लंबाई = 33,000 मील;
पक्की सड़कों की लंबाई = 97,500 मील;
समुद्री जहाजों का भार = 31 लाख GRT;
बैंकों की कुल शाखाएँ =4115;
विद्युत उत्पादन क्षमता = 23 लाख किलोवाट;
विद्युतीकरण ग्रामों की संख्या = 3,000



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