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ठाकुरबारी जैसी संस्थाओं का ग्रामीण समाज के प्रति कर्तव्य और भूमिका पर प्रकाशडालिए।​

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O  ठाकुरबारी जैसी संस्थाओं का ग्रामीण समाज के प्रति कर्तव्य और भूमिका पर प्रकाश  डालिए।​

►  ठाकुरबारी सदृश्य संस्थाएं ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में मिल जाती हैं। ऐसी संस्थाएं ग्रामीणों के हितों का दावा करते हुए अपना स्वरूप खड़ा करती हैं लेकिन अंततः ऐसी संस्थाओं में स्वार्थी तत्वों की भरमार हो जाती है, जो केवल अपना हित साधने में लगे रहते हैं।  कुछ एक संस्थाओं को छोड़कर अधिकतर ऐसी संस्थाएं समाज के हित के नाम पर केवल अपना पेट भरती हैं और जनता से चंदे के माध्यम से तथा सरकार से अनुदान के माध्यम से धन ठगती रहती हैं।

ठाकुरबारी जैसी संस्थाएं यदि पूरी तरह निष्पक्ष, ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा से अपना कार्य करें तो ऐसी संस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों तथा पिछड़े क्षेत्रों आदि के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

ऐसी संस्थाएं लोगों में भाईचारा विकसित कर सकती हैं. आपदा की स्थिति में उनकी सहायता कर सकती हैं और सामाजिक बुराइयों कुरीतियों आदि से लड़ते हुए लोगों को जागरूक कर सकते हैं। धार्मिक उन्माद को कम कर सकती हैं। पाखंड और आडंबर आदि कुरीतियों के खिलाफ जनता को जागरूक कर सकती हैं। लेकिन दुर्भाग्य से अधिकतर संस्थाएं केवल अपने स्वार्थी हितों को साधने में लगी रहती हैं और जन सेवा के नाम पर केवल अपनी जेबें में भरती हैं।

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