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टिप्पणी लिखिए-स्त्री-शिक्षा तथा सहशिक्षा।

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स्त्री-शिक्षा तथा सहशिक्षा सहशिक्षा वह शिक्षा-व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत लड़के तथा लड़कियाँ एक स्थान पर एक समय, एक पाठ्यक्रम, एक विधि तथा एक प्रशासन के अन्तर्गत अध्ययन करते हैं।

सहशिक्षा की आवश्यकता तथा महत्त्व
⦁    सहशिक्षा के आधार पर शिक्षा के समान अवसर, सुविधाएँ तथा अधिकार मिलते हैं।
⦁    लड़के और लड़कियों में परस्पर सहयोग तथा विश्वास विकसित होता है।
⦁    एक-दूसरे के प्रति जिज्ञासाएँ सन्तुष्ट होती हैं।
⦁    स्त्री को स्वतन्त्र सामाजिक वातावरण, सामाजिक प्रतिष्ठा तथा नागरिक अधिकार मिलते हैं, जो सहशिक्षा में ही सम्भव हैं।
⦁    स्त्री-शिक्षा का ‘अलग प्रबन्ध खर्चीला होता है। सहशिक्षा में बचत होती है।

सहशिक्षा का प्रसार
सहशिक्षा के प्रसार के लिए स्त्री-शिक्षा समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं
⦁    सहशिक्षा पर आधारित विद्यालय सुसंगठित हो।
⦁    सहशिक्षा के विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाए।
⦁    इस प्रणाली को प्राथमिक स्तर पर ही लागू किया जाए।
⦁    सहशिक्षा से सम्बन्धित विद्यालयों में संगीत, गृह विज्ञान, नृत्य, चित्रकला आदि विषयों की पूर्ण व्यवस्था हो।
⦁    इस प्रणाली की जानकारी अभिभावकों को दी जाए जिससे यह विकसित हो सके।



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