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उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की अवस्थिति के कारकों का वर्णन कीजिए।

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उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण क्रियाकलापों में नवीनतम पीढ़ी है। पिछले दो दशकों से उच्च प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं।

उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की अवस्थिति के कारक

इन स्वच्छन्द उद्योगों पर पारम्परिक कारकों का कोई विशेष प्रभाव नहीं होता। इनके स्थानीयकरण (अवस्थिति) में कुछ नए कारकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है

(1) ये हल्के उद्योग होते हैं जो अधिकतर कच्चे माल की जगह उत्पादन के लिए अर्द्धनिर्मित तथा संसाधित वस्तुओं का उपयोग करते हैं।

(2) वैज्ञानिक और तकनीकी दक्षता पर निर्भर रहने के कारण ये उद्योग प्रायः विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थाओं के समीप स्थापित किए जाते हैं।

(3) इन उद्योगों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति बिजली द्वारा होती है जो मुख्यत: राष्ट्रीय ग्रिड से प्राप्त होती है।

(4) इन उद्योगों के लिए अनुकूल जलवायु वाले महानगरीय क्षेत्र अधिक अनुकूल साबित होते हैं। महानगरों की सामाजिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक गतिविधियाँ इन उद्योगों को अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देती हैं। .

(5) इन उद्योगों का अन्तिम उत्पाद छोटा किन्तु परिष्कृत होता है। अत: इन्हें सड़क मार्गों के निकट प्रदूषण रहित आवासीय क्षेत्रों से लगाया जा सकता है।

(6) ज्यादा-से-ज्यादा सफलता प्राप्त करने की अतृप्त भूख तथा प्रतिस्पर्धी कम्पनियों को पटकनी देकर सदा आगे रहने की मानसिकता के कारण नए उद्योगों के वैज्ञानिक, शोधार्थी प्रबन्धक, वित्त विशेषज्ञ तथा प्रशासक सदा तनावग्रस्त रहते हैं। उनके तनावरहित सन्तुलित व्यवहार को बनाए रखने के लिए कम्पनियों का पर्यावरण हरा-भरा, आकर्षक व सुखद होना आवश्यक है। अत: ऐसे उद्योग मनभावन जगहों पर विकसित होते हैं।

(7) परिवहन और संचार के अत्याधुनिक साधनों के बिना ये उद्योग जीवित ही नहीं रह सकते। उपभोक्ताओं, वित्तीय संस्थाओं, सरकारी विभागों, आपूर्तिदाताओं से तत्काल सम्पर्क बनाने तथा शोध के विभिन्न चरणों की सफलता के लिए उच्च कोटि के संचार व परिवहन के साधन आवश्यक हैं।



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