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वारेन हेस्टिग्स की प्रारम्भिक कठिनाईयों व सुधारों का विस्तृत वर्णन कीजिए। |
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Answer» (i) हेस्टिग्स की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ- वारेन हेस्टिग्स को 1772 ई० में कर्टियर के पश्चात् बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया था, उस समय भारत में अंग्रेजी कम्पनी की स्थिति अच्छी नहीं थी। बंगाल में अव्यवस्था व्याप्त थी। संक्षेप में उसके सम्मुख निम्नलिखित प्रमुख कठिनाइयाँ थीं (क) बंगाल में अराजकता- बंगाल में उस समय चारों ओर अराजकता का साम्राज्य व्याप्त था। अंग्रेजी कम्पनी और बंगाल के नवाब आपस में लड़ते रहते थे। दुर्भाग्य से इसी समय बंगाल में एक अकाल पड़ा, जिससे बंगाल की आन्तरिक समस्या और बढ़ गई। (ख) द्वैध शासन- क्लाइव द्वारा लागू किए गए द्वैध शासन में अनेक दोष विद्यमान थे, जिससे बंगाल की दशा दयनीय हो गई थी। बंगाल की जनता अंग्रेजों को घृणा की दृष्टि से देखने लग गई थी। ऐसी स्थिति में कम्पनी का बंगाल में प्रभुत्व कायम रखना बहुत मुश्किल था। (ग) रिक्त कोष- कम्पनी के कर्मचारियों की अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार से कम्पनी का कोष खाली हो गया था। ऐसी विकट परिस्थिति में बंगाल की व्यवस्था को सम्भालना मुश्किल था। (घ) विरोधियों द्वारा उत्पन्न समस्याएँ- अंग्रेजों के विरोधी मराठों ने अपनी शक्ति को पुनः संगठित कर उत्तर तथा दक्षिण में अपना प्रभुत्व जमा लिया था। शाहआलम भी मराठों के संरक्षण में चला गया। इधर हैदरअली अंग्रेजों के लिए सिरदर्द बना हुआ था। निजाम भी अंग्रेजों से रुष्ट था। (ii) वारेन हेस्टिग्स के सुधार- वारेन हेस्टिग्स प्रारम्भ में अनेक आन्तरिक एवं बाह्य कठिनाइयों से घिरा हुआ था, भारत को सुदृढ़ करने के लिए अधिक आवश्यकता आन्तरिक सुधारों की थी। हेस्टिग्स ने 1772 से 1774 ई० तक कम्पनी की स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेक सुधार किए। उसके द्वारा किए गए सुधार निम्नलिखित हैं (क) लगान सम्बन्धी सुधार- वारेन हेस्टिग्स ने पंचवर्षीय प्रबन्ध स्थापित किया। भूमि की बोली लगाई जाती थी। जो व्यक्ति सबसे अधिक लगान देने को तत्पर होता, उसे पाँच वर्ष के लिए भूमि ठेके पर दे दी जाती थी। यद्यपि इस व्यवस्था का कृषकों पर बुरा प्रभाव पड़ा, क्योंकि भूमिपति बलपूर्वक किसानों से धन वसूल करते थे, परन्तु कम्पनी की आय में इस व्यवस्था से वृद्धि हुई। लगान वसूल करने के लिए प्रत्येक जिले में एक कलेक्टर की नियुक्ति की गई, जिसकी सहायता के लिए एक भारतीय दीवान होता था। हेस्टिग्स ने अनेक निरर्थक करों को हटा दिया। (ख) आर्थिक सुधार- जिस समय वारेन हेस्टिग्स गवर्नर बना था, कम्पनी का राजकोष रिक्त था। अतः आर्थिक सुधारों की नितान्त आवश्यकता थी। उसने बंगाल के नवाब की पेंशन घटाकर 16 लाख रुपए कर दी तथा दिल्ली के बादशाह शाहआलम द्वितीय की पेंशन बन्द कर दी, क्योंकि वह मराठों के संरक्षण में चला गया था। शाहआलम द्वितीय से कड़ा तथा इलाहाबाद के जिले लेकर अवध के नवाब शुजाउद्दौला को 50 लाख रुपए में बेच दिए गए। नवाब शुजाउद्दौला से उसने एक सन्धि की तथा बनारस का जिला और 40 लाख रुपए के बदले में उसे सैनिक सहायता देने का वचन दिया। इन सुधारों से भी कम्पनी की आर्थिक स्थिति पूर्णतया तो दृढ़ नहीं हो सकी परन्तु हेस्टिग्स के आर्थिक सुधार सराहनीय थे। (ग) शासन सम्बन्धी सुधार- वारेन हेस्टिग्स ने सर्वप्रथम क्लाइव द्वारा स्थापित द्वैध शासन व्यवस्था का अन्त किया। मुहम्मद रजा खाँ तथा सिताबराय पर अभियोग चलाकर उन्हें पदच्युत कर दिया गया तथा द्वैध शासन का अन्त कर दिया गया। बंगाल के नवाब से शासन सम्बन्धी अधिकार छीनकर उसे पेंशन दे दी गई। हेस्टिग्स ने कलकत्ता को केन्द्र बनाया तथा राजकोष मुर्शिदाबाद से हटाकर कलकत्ता ले गया। भारतीय कलेक्टरों के स्थान पर उसने अंग्रेज कलेक्टर नियुक्त किए। (घ) न्याय सम्बन्धी सुधार- न्याय के क्षेत्र में हेस्टिग्स ने महत्वपूर्ण सुधार किए। प्रत्येक जिले में एक फौजदारी और एक दीवानी अदालत स्थापित की गई तथा दोनों अदालतों के क्षेत्र निर्धारित कर दिए गए। अपील की दो उच्च अदालतें सदर निजामत अदालत तथा सदर दीवानी अदालत कलकत्ता में स्थापित की गईं। न्यायाधीशों को नकद वेतन देने की व्यवस्था की गई, जिससे वे ईमानदारी से कार्य कर सकें। प्रत्येक जिले में एक फौजदार की नियुक्ति की गई, जिसका कार्य अपराधियों को पकड़कर न्यायालय के समक्ष उपस्थित करना था। हिन्दू-मुस्लिम कानूनों को संकलित करने का भी वारेन हेस्टिग्स ने प्रयास किया। फौजदारी अदालतों में भारतीय न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई, जो देश के नियमों से परिचित होने के कारण उत्तम ढंग से न्याय कर सकते थे। (ङ) सार्वजनिक सुधार- भारतीयों की दशा को सुधारने के लिए भी हेस्टिग्स ने अथक प्रयास किया (अ) द्वैध शासन व्यवस्था का अन्त- द्वैध शासन का अन्त करके उसने बंगाल के निवासियों पर महान् उपकार किया। (ब) डाकुओं का दमन- इस समय राजनीतिक अव्यवस्था के कारण देश में चारों ओर डाकुओं का बाहुल्य हो गया था। हेस्टिग्स ने डाकुओं का निर्दयतापूर्वक दमन कराया। अनेक डाकुओं को फाँसी पर लटका दिया गया। (स) संन्यासियों का रूप धारण किए डाकुओं का विनाश- इस समय देश में साधुओं का वेश धारण कर | डाकुओं ने पर्यटन का बहाना बनाकर लूटमार कर अराजकता फैला रखी थी। हेस्टिग्स ने उनका भी कठोरतापूर्वक दमन कराया। (द) पुलिस का संगठन- पुलिस अफसरों के अधिकार बढ़ा दिए गए तथा प्रत्येक जिले में एक पुलिस अफसर की नियुक्ति की गई, जिस पर जिले की सुव्यवस्था का दायित्व होता था। व्यापारिक क्षेत्र में सुधार- कम्पनी का मुख्य उद्देश्य भारत में व्यापार की उन्नति कर स्वयं को सुदृढ़ बनाना था। व्यापारिक दृष्टिकोण से कम्पनी की स्थिति खराब थी। अत: हेस्टिग्स ने दस्तक प्रथा का अन्त कर कर्मचारियों के निजी व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया। हेस्टिग्स ने जमींदारों द्वारा स्थापित समस्त चुंगी चौकियों को समाप्त कर केवल कलकत्ता, हुगली, ढाका, मुर्शिदाबाद और पटना में चुंगी चौकियाँ स्थापित की। |
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