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वैबसाइट को अमल में लाने के विभिन्न कार्य लिखें।

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साइट की संपूर्ण योजना बनाने और सूचनाओं या लिंकस के संबंध में फैसला करने के बाद इसको इंपलीमैंट अर्थात् अमल में लाने के बारे में सोचा जाता है। इसमें डोमेन नेम का चुनाव, डोमेन रजिस्टर करवाना, सर्वर का चुनाव और साइट का प्रबंध आदि गतिविधियाँ शामिल होती हैं।
1. डोमेन नाम का चुनाव (Choosing Domain Name)- डोमेन नेम आपकी साइट का एडरैस होता है। डोमेन नेम असल में (इंटरनेट प्रोटोकाल) साइट का एडरैस होता है। डोमेन नेम डाटाबेस में होता है जो कि सर्वर के एडरैस की सूची में शामिल होता है। डोमेन नेम .com, .net, .org आदि नामों से समाप्त होता है। इसमें हाइफनज़ (Hyphens) शामिल होते हैं। इसमें प्रयोग किए जाने वाले अक्षरों की ज्यादा से ज्यादा गिनती 63 हो सकती है।

2. डोमेन नेम रजिस्टर करना (Registering Domain Name)- डोमेन नेम के बारे में फैसला करने के बाद डोमेन नेम रजिस्टर करवाया जाता है। आप अपनी साइट को सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा रजिस्टर करवा सकते हो। सर्विस प्रोवाइडर आपको एक फार्म भरने के लिए कहता है और फिर रजिस्टर करने के लिये आपसे फीस भी वसूल सकता है। फार्म भरने के बाद चैक किया जाता है कि आपके नाम वाला किसी और ने तो नहीं रजिस्टर करवाया। अगर नाम उपलब्ध हो तो उसके रजिस्टर होने का संदेश आपको ई-मेल के द्वारा भेज दिया जाता है।

3. सर्वर का चुनाव (Choosing a server)- साइट को अमल में लाने का एक ज़रूरी कार्य है सर्वर का चुनाव। यहाँ सर्वर का चुनाव बहुत महत्ता रखता है। सर्वर यहाँ आपकी साइट स्थायी रूप में रखता है आप अपना सर्वर खरीद सकते हो या फिर किराये पर भी ले सकते हो। वैबसाइटों की दुनिया में सर्वर का अहम रोल है। ऐसे विशेष किस्म के सर्वर को वैब सर्वर कहा जाता है। जब आप अपने ब्राऊजर पर कोई साइट खोलते हो तो यह संबंधित वैब सर्वर से जुड़ जाता है।

4. वैब पेज की व्यवस्था (Organizing Web Page)- वैबसाइट का पेज अच्छे ढंग से व्यवस्थित होना चाहिए। वैब पेज की व्यवस्था ऐसी हो कि यह साइट को बराबर दिखावट (Balanced look) प्रदान करे। पेज की व्यवस्था के समय पेज की लंबाई एक महत्त्वपूर्ण नुक्ता है। पेज डिज़ाइन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिएवैब पेज दो स्क्रीनज़ से लंबा नहीं होना चाहिए। अगर लंबा पेज इस्तेमाल करना चाहते हो तो बुकमार्क के द्वारा अंदरूनी लिंक स्थापित करें। अगर आपका डाक्यूमैंट एक स्क्रीन से बड़ा है तो पहले दर्शकों को सिर्फ कुछ भाग ही दिखायें। दर्शकों द्वारा मांग करने के बाद ही बाकी हिस्सा दिखा जाये।

5. दिखावट (Look)- वैब पेज अच्छी दिखावट वाला हो तो हर एक का पढ़ने को मन करेगा। अच्छी दिखावट के लिए वैब पेज में ज़रूरत अनुसार लिंक, ग्राफिक्स, ऐनीमेशन, साऊंड और वीडियो क्लिप शामिल होने चाहिए। वैब पेज की भिन्न-भिन्न सामग्री में विभिन्नता पर अच्छा दृष्टिगत प्रभाव होना चाहिए। साइट में उचित फौंट कलर, बैकग्राउंड कलर, टेबल, ग्राफ आदि का इस्तेमाल अच्छी दिखावट का प्रतीक होता है।

6. ऑफ-लाइन टैस्टिग (Offline Testing)- वैबसाइट के सभी पेजिज डिज़ाइन करने के बाद इसको ब्राऊजर पर टैस्ट किया जाता है। इस टैस्ट के लिए इंटरनैट की ज़रूरत नहीं पड़ती। इसी कारण इसको ऑफ-लाइन टैस्ट कहा जाता है। आफ-लाइन टैस्टिग में सबसे पहले ब्राऊज़र में होम पेज खोला जाता है। फिर एक-एक करके लिंक किए हुए सभी पन्नों (Pages) को चैक किया जाता है। यहाँ यह यकीनी बनायें कि आपके पेज बढ़िया नज़र आयें। आपको अपनी साइट को भिन्न-भिन्न ब्राऊज़र्स पर टैस्ट कर लेना चाहिए।

7. साइट को अपलोड करना (Uploading the Site)- साइट को इंटरनैट पर सभी के लिए प्रदान करवाने के लिए इसको अपलोड किया जाता है। आपके वैब पन्नों को होस्ट (Host) तक भेजने के लिए फाइल ट्रांसफर प्रोटोकाल (FTP) क्लाइंट की ज़रूरत पड़ती है। इस काम के लिए सबसे पहले FTP प्रोग्राम जैसे कि क्यूट FTP (Cute FTP) सैट किया जाता है। इसके बाद ऑन-लाइन होकर अपनी फाइलों को अपलोड करें।

8. ऑन-लाइन टैस्टिंग (Online Testing)- जब आपकी साइट अपलोड हो जाती है तो आगे का स्टैप है इसको ऑन-लाइन टैस्ट करना। इंटरनेट कनैक्ट करें, ब्राऊज़र खोलें और अपनी साइट का यू०आर०एल (URL) टाइप करें। चैक करें कि आपकी साइट के सभी लिंक सही काम कर रहे हैं। इसी प्रकार अन्य ब्राऊज़र ऊपर भी चैक करें।



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