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Answer» प्राचीनकाल में भारत में विकसित होने वाली दो मुख्य शिक्षा प्रणालियों को क्रमशः वैदिक शिक्षा या हिन्दू-ब्राह्मणीय शिक्षा तथा बौद्धकालीन शिक्षा के रूप में जाना जाता है। बौद्धकालीन शिक्षा बौद्ध धर्म एवं दर्शन की सैद्धान्तिक मान्यताओं पर आधारित थी, परन्तु यह भी सत्य है कि बौद्ध धर्म भी एक भारतीय धर्म था तथा बौद्धकालीन शिक्षा भारतीय सामाजिक परिस्थितियों में ही विकसित हुई थी। इस स्थिति में वैदिक शिक्षा तथा बौद्धकालीन शिक्षा में कुछ समानताएँ होना नितान्त स्वाभाविक ही था, परन्तु वैदिक-धर्म तथा बौद्ध धर्म में कुछ मौलिक तथा सैद्धान्तिक अन्तर भी है। दोनों धर्मों का सामाजिक व्यवस्था स्तरीकरण तथा जीवन के उद्देश्यों आदि के प्रति दृष्टिकोण भिन्न है। इस स्थिति में दोनों धर्मों द्वारा विकसित की गयी शिक्षा-प्रणालियों में कुछ स्पष्ट अन्तर पाया जाता है। इस स्थिति में वैदिक-शिक्षा तथा बौद्धकालीन शिक्षा के तुलनात्मक विवरण को प्रस्तुत करने के लिए इन शिक्षा-प्रणालियों में पायी जाने वाली समानताएँ तथा असमानताएँ अग्रलिखित हैं– वैदिक तथा बौद्ध शिक्षा की समानताएँ डॉ० अल्तेकर के अनुसार, “जहाँ तक सामान्य शैक्षिक सिद्धान्त या प्रयोग की बात है, हिन्दुओं और बौद्ध में कोई विशेष अन्तर नहीं था। दोनों प्रणालियों के समान आदर्श थे और दोनों समान विधियों का अनुसरण करती थी। इस स्थिति में इन दोनों शिक्षा-प्रणालियों में विद्यमान समानताओं का विवरण निम्नवर्णित है ⦁ दोनों शिक्षा प्रणालियाँ हर प्रकार के बाहरी नियन्त्रण से मुक्त थी अर्थात् वे अपने आप में स्कतन्त्र थी। दोनों शिक्षा व्यवस्थाओं में राज्य अथवा किसी अन्य सत्ता का कोई हस्तक्षेप नहीं था। ⦁ दोनों ही शिक्षा-प्रणालियों में शिक्षण की मौखिक विधि को अपनाया गया था। ⦁ वैदिक तथा बौद्ध शिक्षा-प्रणालियों में समान रूप में छात्रों को दिनचर्या तथा सामान्य जीवन के | नियमों का पालन करना पड़ता था। ⦁ दोनों ही शिक्षा प्रणालियों में अनुशासन की गम्भीर समस्या नहीं थी तथा अनुशासन बनाये रखने | के लिए कठोर या शारीरिक दण्ड का प्रावधान नहीं था। ⦁ दोनों शिक्षा-प्रणालियाँ धर्म-प्रधान थीं अर्थात् शिक्षा के क्षेत्र में धार्मिक एवं नैतिक मूल्यों को समुचित महत्त्व दिया गया था। ⦁ दोनों ही शिक्षा-प्रणालियों में शैक्षिक-प्रक्रिया में कुछ संस्कारों को विशेष महत्त्व दिया गया था। ⦁ दोनों ही शैक्षिक व्यवस्थाओं में शिक्षा पूर्ण रूप से निःशुल्क थी अर्थात् शिक्षा ग्रहण करने के लिए किसी प्रकार का शुल्क देने का प्रावधान नहीं था। ⦁ किसी भी शिक्षा-प्रणाली का मूल्यांकन करते समय गुरु-शिष्य सम्बन्धों को अवश्य ध्यान में रखा जाता है। वैदिक शिक्षा तथा बौद्ध-शिक्षा के सन्दर्भ में कहा जा सकता है कि इन दोनों शिक्षा प्रणालियों में गुरु-शिष्य सम्बन्ध बहुत ही मधुर, स्नेहपूर्ण, पवित्र तथा पारस्परिक व कर्तव्यों पर आधारित थे। यह समानता विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। ⦁ ये दोनों ही शिक्षा-प्रणालियाँ विभिन्न निर्धारित नियमों द्वारा परिचालित होती थीं। शिक्षा प्रारम्भ | करने की आयु शिक्षा की अवधि आदि पूर्ण रूप से नियमित तथा निश्चित थी। ⦁ वैदिक शिक्षा तथा बौद्ध शिक्षा-व्यवस्था के अन्तर्गत शैक्षिक वातावरण सम्बन्धी समानता थी। गुरुकुल तथा बौद्ध मठ सामान्य रूप से गाँव या नगर से कुछ दूर प्राकृतिक रमणीक वातावरण में ही स्थापित किये जाते थे। ⦁ वैदिक शिक्षा तथा बौद्ध-शिक्षा में समान रूप से छात्रों द्वारा सादा तथा सरल जीवन व्यतीत किया जाता था तथा सदाचार को विशेष महत्त्व दिया जाता था। व्यवहार में सादा जीवन उच्च-विचार के आदर्श को अपनाया जाता था। वैदिक तथा बौद्ध शिक्षा की असमानताएँ वैदिक तथा बौद्ध शिक्षा प्रणालियों में विद्यमान असमानताओं का सामान्य विवरण निम्नवर्णित है| ⦁ वैदिक काल में शिक्षा की व्यवस्था मुख्य रूप से गुरुकुलों में होती थी, जबकि बौद्धकाल में यह व्यवस्था बौद्ध-मठों एवं विहारों में होती थी। वैदिक काल में सामान्य विद्यालय नहीं थे, परन्तु | बौद्धकाल में इस प्रकार के विद्यालय स्थापित हो गये थे। ⦁ “वैदिक काल में शिक्षा का माध्यम संस्कृत भाषा थी, जबकि बौद्धकाल में शिक्षा का माध्यम पालि | भाषा तथा कुछ क्षेत्रीय भाषाएँ थीं।। ⦁ वैदिक काल में शिक्षा प्रदान करने का कार्य ब्राह्मण करते थे, जबकि बौद्धकाल में ऐसा बन्धन नहीं था। किसी भी जाति का योग्य व्यक्ति शिक्षा प्रदान कर सकता था। ⦁ वैदिक काल में शिक्षा का स्वरूप व्यक्तिगत एवं पारिवारिक था, जबकि बौद्धकाल में यह स्वरूप । सामूहिक एवं संस्थागत था। ⦁ वैदिक काल में केवल सवर्णो को शिक्षा प्रदान की जाती थी, जबकि बौद्धकाल में किसी प्रकार का जातिगत भेदभाव नहीं था। ⦁ वैदिक काल में छात्रों का जीवन अधिक कठोर एवं तपोमय था, जबकि बौद्धकाल में यह कठोरता घट गयी। ⦁ वैदिक काल में शिक्षा अनिवार्य रूप से शिक्षके-केन्द्रित थी, जबकि बौद्धकाल में छात्रों को भी कुछ स्वतन्त्रता एवं अधिकार प्राप्त थे। ⦁ वैदिक काल में वैदिक धर्म, दर्शन एवं साहित्य की शिक्षा दी जाती थी परन्तु बौद्ध-शिक्षा के अन्तर्गत बौद्ध धर्म एवं दर्शन को शिक्षा के पाठ्यक्रम में अधिक महत्त्व दिया जाता था। ⦁ वैदिककालीन प्रायः सभी शिक्षण-संस्थाओं में एकतन्त्रवादी सत्ता-व्यवस्था का बोलबाला था, परन्तु बौद्धकाल में प्राय: सभी शिक्षण संस्थाओं में जनतान्त्रिक सत्ता-व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाती थी।
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