InterviewSolution
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वैदिककालीन शिक्षा-व्यवस्था में गुरु-शिष्य के सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» वैदिककालीन शिक्षा-प्रणाली के अन्तर्गत गुरु-शिष्य सम्बन्ध कर्तव्यपरायणता पर आधारित थे तथा गुरु एवं शिष्य दोनों ही अपने कर्तव्यों के प्रति जगरूक होते थे तथा सदैव अपनी इच्छा से उनका पालन करते थे। गुरु-शिष्य के सम्बन्ध पारस्परिक स्नेह, सम्मान, विश्वास तथा कर्त्तव्य की भावना पर आधारित होते थे। गुरु या शिक्षक अपने शिष्य के प्रति सदैव पुत्रवत् व्यवहार करता था। गुरु अपने शिष्य के प्रति बौद्धिक एवं आध्यात्मिक-पिता की भूमिका निभाता था। वह शिष्य के सर्वांगीण विकास के लिए सभी आवश्यक उपाय करता था। वह शिष्य को ज्ञान प्रदान करने के साथ-ही-साथ उसके चरित्र के विकास में भी भरपूर योगदान देता था। गुरु ही अपने शिष्यों के लिए आहार तथा आवश्यकता पड़ने पर औषधि एवं उपचार की भी व्यवस्था करता था। इस प्रकार निष्कर्ष स्वरूप कहा जा सकता है कि घर-परिवार में जो कर्तव्य तथा दायित्स्व पिता द्वारा सम्पन्न किये जाते हैं, गुरुकुल में वे सभी गुरु या शिक्षक द्वारा पूरे किये जाते थे। इस स्थिति में गुरुकुल के सभी छात्रों के लिए गुरु भी पिता-तुल्य ही होते थे। सभी छात्र बहुत ही सम्मानपूर्वक अपने गुरु के प्रत्येक आदेश का पालन करते थे तथा गुरु की सेवा करते थे। छात्र ही गुरुकुल के समस्त कार्यों में गुरुको सहयोग प्रदान करते थे तथा एक परिवार के सदस्य के रूप में रहते थे। |
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