1.

वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं? इस सन्दर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है?

Answer»

वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियों का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-

⦁    व्यापार में वृद्धि तथा खुलापन-वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में आयात प्रतिबन्धों के कम होने से वस्तुओं के व्यापार में इजाफा हुआ है।
⦁    सेवाओं का विस्तार एवं प्रवाह-वैश्वीकरण के चलते अब सेवाओं का प्रवाह अबाध हो उठा है। इण्टरनेट और कम्प्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार इसका एक उदाहरण है।
⦁    विश्व जनमत का विभाजन-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण पूरे विश्व में जनमत बड़ी गहराई से बँट । गया है।
⦁    राज्यों द्वारा आर्थिक जिम्मेदारियों से हाथ खींचना-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें अपनी सामाजिक सुरक्षा तथा जन-कल्याण की जिम्मेदारियों से अपने हाथ खींच रही हैं। इससे सामाजिक न्याय से सरोकार रखने वाले लोग चिन्तित हैं। इससे वंचित, पिछड़े, अशिक्षित तथा गरीब लोग और बदहाल हो जाएंगे।
⦁    विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण’- कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वैश्वीकरण को विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण कहा है।
⦁    आर्थिक वैश्वीकरण केलाभकारी परिणाम-आर्थिक वैश्वीकरण से व्यापार में वृद्धि हुई है, देश को प्रगति का अवसर मिला है, खुशहाली बढ़ी है तथा लोगों में जुड़ाव बढ़ रहा है।

वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव-वैश्वीकरण की प्रक्रिया के तहत भारत पर निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव पड़े हैं-

⦁    इसके तहत सकल घरेलू उत्पाद दर तथा विकास दर में तीव्र वृद्धि हुई है।
⦁    विश्व के देश भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखने लगे हैं। अत: यहाँ विदेशी निवेश बढ़ा है।
⦁    रोजगार हेतु श्रम का प्रवाह बढ़ा है तथा पाश्चात्य संस्कृति का तीव्र प्रसार हुआ है।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions