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वह पावस का प्रथम दिवस जब, पहली बूंद धरा पर आई | अंकुर फूट पड़ा धरती से, नवजीवन की ले अंगड़ाई | धरती के सूखे अधरों पर, गिरी बूंदअम्रत सी आकर | वसुंधरा की रोमावली सी, हरी दूब पुलकी-मुसकाई। पहली बूँद धरा पर आई | आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर बजानगाड़े की स्वर्णिम पर | बादल धरती की तरुणाई |पहली बूंद धरा पर आई |(क) प्रस्तुत काव्यांश में किस ऋतु का वर्णन है ।(i) गर्मी का(ii) वर्षा ऋतु का(iii) सर्दी का(iv) शीत ऋतु का(ख) वर्षा की पहली बूँद की बीज पर क्या प्रतिक्रिया हुई?(i) बीज से अंकुर फूट पड़ा (ii) बीज धरती में दब गए(ii) बीज सड़ गये(iv) उपर्युक्त में से कोई नही(ग) 'आसमान में उड़ता सागर' का अर्थ स्पष्ट कीजिए |(i) जमीन से आसमान तक सागर की लहरें उठ रही है (ii) सागर पंख लगाकर उड़ रहा है(iii) आसमान से सागर को उपर बुला लिया है (iv) आसमान में पानी भरे बादल है (घ) धरती की तरुणाई कौन जगा रहा है?(i) हरी दूब(ii) बादल(iii) सागर(iv) अंकुर(ड) 'गिरी बूंद अमृत-सी आकर' मैं कौन सा अलंकार है?(i) रूपक(ii) उत्प्रेक्षा(iii) उपमा(iv) यमक |
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Answer» वर्षा की पहली बूंद की बीज पर क्या प्रतिक्रिया हुई ? बीज से अंकुर फूट पड़े । बीज धरती में दब गए । बीज सड़ गए । इनमे से कोई नहीं । |
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