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    				| 1. | विभवमापी का सिद्धान्त लिखिए | | 
| Answer» मानलो अब विभवमापी का तार है, जिसकी लम्बाई L है इसके साथ श्रेणीक्रम में संचायक सेल C,कुंजी K तथा K तथा धारा नियंत्रक Rh जोड़ा गया है | कुंजी K के प्लग को लगाने पर अब में विधुत धारा प्रवाहित होने लगती है फलस्वरूप उसमें विभवान्तर उतपन्न हो जाता है | मानलो विभवमापी के तार AB के सिरों के बीच का विभवान्तर V है | अतः विभव प्रवणता `rho=(V)/(L)` अब मालो प्रायोगिक सेल E के धन सिरे को बिन्दु A से तथा ऋण सिरे को धारामापी G तथा जॉकी J से जोड़ दिया जाता है | जब जॉकी J को A के पास स्पर्श कराते हैं, तो विक्षेप एक दिशा में तथा जब B के पास स्पर्श कराते हैं, तो विक्षेप विपरीत दिशा में प्राप्त होता है इन दोनों बिन्दुओं के मध्य एक ऐसा बिन्दु J प्राप्त करते हैं, जिस पर जॉकी को स्पर्श कराने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं होता | इस स्थिति में धारामापी से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती, फलस्वरूप सेल खुले परिपथ में होता है | इस बिन्दु J को सन्तुलन बिन्दु कहते हैं | स्थिति में AJ के बीच विभवान्तर,सेल के वि.व.बल के बराबर होता है | मानलो उच्च विभव के बिन्दु A से सन्तुलन बिन्दु J को दूरी l है | अतः सेल का वि.व.बल =AJ के बीच विभवान्तर या `" "E=rhol` इस प्रकार `rho`और l के मान ज्ञात होने पर E का मान ज्ञात किया जा सकता है | | |