1.

विदेश व्यापार की प्रवर्तमान स्थिति दर्शाइए ।

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देश की सीमा के बाहर से होनेवाले व्यापार को विदेश व्यापार के नाम से जानते हैं । स्वतंत्रता से पूर्व भारत का विदेश व्यापार इंग्लैण्ड के साथ पूर्वीय देशों के साथ व्यापार होता था । स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में आयोजन के दरम्यान विदेश व्यापार में ध्यान दिया गया । परिणाम स्वरूप भारत में विदेश व्यापार में वृद्धि हुयी है । भारत में विदेश व्यापार को जानने के लिए एग्नस मेडिसन नाम के इतिहासकार की खोज दर्शानेवाले ‘वर्ल्ड ट्रेड रिपोर्ट’ (World Trade
Report) 2013 के सन्दर्भ में चर्चा करेंगे :

  1. 1800वीं सदी के मध्यकाल से विश्व की जनसंख्या 6 गुना बढ़ा है ।
  2. इसी समय विश्व का उत्पादन 60 गुना बढ़ा है । जबकि विश्व व्यापार में 140 गुना बढ़ा है ।
  3. वर्ल्ड ट्रेड रिपोर्ट – 2013 के अनुसार विश्व में वाहनव्यवहार और संदेशाव्यवहार के खर्च में उल्लेखनीय कमी आयी है जिससे व्यापार को गति मिली है । इसके उपरांत प्रदेशों के बीच राजनैतिक सम्बन्धों का विकास होने से व्यापार में वृद्धि हुयी है ।
  4. अंतिम 30 वर्षों में व्यवसायिक सेवाओं के व्यापार में हर वर्ष औसत 7 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है ।
  5. 1980 से 2011 के बीच विकासशील देशों के निर्यात में योगदान उप प्रतिशत से बढ़कर 47% और आयात में उनका योगदान 29 प्रतिशत से बढ़कर 42% हो गया है ।
  6. एशिया के देश वर्तमान में विश्व व्यापार में उल्लेखनीय योगदान दे रहे है ।
  7. अंतिम कुछ दशकों के दरम्यान विश्व उत्पादन भी वृद्धिदर की अपेक्षा विश्व व्यापार की वृद्धिदर दुगने प्रमाण में वृद्धि हुयी है। जो विश्व विक्रय व्यवस्था का विकास हुआ है ।

विविध समय दरम्यान विश्व व्यापार की वार्षिक वृद्धिदर

समयांतरालव्यापार की वृद्धिदर
1950-19737.88%
1973-19853.65%
1985-19966.55%
1996-20006.89%
2000-20115.00%
2015-20162.8%

इस प्रकार उपर की सारणी में विश्व व्यापार की वृद्धिदर को देख सकते हैं ।



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