1.

विधान-परिषद् की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

Answer»

विधान-परिषद्, विधानसभा की तुलना में एक कमजोर सदन है। कानून-निर्माण के क्षेत्र में साधारण विधेयक राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन में प्रस्तावित किये जा सकते हैं तथा वे विधेयक दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत होने चाहिए। साथ ही यदि कोई विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद विधान-परिषद् द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाता है या परिषद् विधेयक में ऐसे संशोधन करती है, जो विधायकों को स्वीकार्य नहीं होते या परिषद् के समक्ष विधेयक रखे जाने की तिथि से तीन माह तक विधेयक पारित नहीं किया जाता है तो विधानसभा उस विधेयक को संशोधन सहित या संशोधन के बिना विधानमण्डल द्वारा पुनः पारित करके विधान परिषद् को भेजती है। इस बार विधान-परिषद् विधेयक को स्वीकृत करे या न करे अथवा ऐसे संशोधन पेश करे, जो विधानसभा को स्वीकार न हों तो भी यह विधेयक एक माह बाद विधान-परिषद् द्वारा स्वीकृत मान लिया जाता है।

विधान परिषद् प्रश्नों, प्रस्तावों तथा वाद-विवाद के आधार पर मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध जनमत तैयार करके उसको नियन्त्रित कर सकती है, किन्तु उसे मन्त्रिपरिषद् को पदच्युत करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि कार्यपालिका केवल विधानसभा के प्रति ही उत्तरदायी होती है।

वित्त विधेयक केवल विधानसभा में ही प्रस्तावित किये जाते हैं, विधान परिषद् में नहीं। विधानसभा किसी वित्त विधेयक को पारित कर स्वीकृति के लिए विधान परिषद के पास भेजती है तो विधान-परिषद या तो 14 दिन के अन्दर ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर सकती है या फिर अपनी सिफारिशों सहित विधानसभा को वापस लौटा सकती है। यह विधानसभा पर निर्भर है कि वह विधान-परिषद् की सिफारिशों को माने या नहीं। यदि परिषद् 14 दिन के अन्दर विधेयक पर कोई निर्णय नहीं लेती तो वह दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत मान लिया जाता है।



Discussion

No Comment Found