1.

“विधानसभा, राज्य मन्त्रिपरिषद पर नियन्त्रण रखती है।” दो तर्क देते हुए इस कथनका औचित्य स्पष्ट कीजिए।याविधानसभा मन्त्रिपरिषद पर किस प्रकार नियन्त्रण रखती है ?याविधानसभा तथा मन्त्रिपरिषद् के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिए।

Answer»

संविधान के अनुसार, विधानसभा तथा मन्त्रिपरिषद् परस्पर घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। बेजहाट का कथन है कि “मन्त्रिपरिषद् अपने जन्म की दृष्टि से विधायिका से सम्बन्धित है।” मन्त्रिपरिषद् सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। किन्तु वास्तव में स्थिति इसके विपरीत होती है, क्योंकि मन्त्रिपरिषद् बहुमत दल की होती है, इसलिए विधानसभा इस पर अधिक नियन्त्रण नहीं रख पाती है तथा मुख्यमन्त्री भी विधानसभा को भंग कर सकता है। विधानसभा, प्रश्नों, पूरक प्रश्नों तथा काम रोको प्रस्तावों द्वारा मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखती है तथा निम्नलिखित आधारों पर मन्त्रिपरिषद् को पदच्युत कर सकती है –

⦁    अविश्वास के प्रस्ताव द्वारा – विधानसभा के सदस्य मन्त्रिपरिषद् से असन्तुष्ट होकर सदन के सामने अविश्वास का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं। इस प्रस्ताव के पारित हो जाने पर मन्त्रिपरिषद् को त्याग-पत्र देना होता है।
⦁    विधेयक की अस्वीकृति – मन्त्रिपरिषद् द्वारा प्रस्तुत किसी विधेयक को यदि विधानसभा स्वीकृति न दे तो ऐसी दशा में भी मन्त्रिपरिषद् को अपना पद त्यागना पड़ता है।
⦁    किसी मन्त्री के प्रति अविश्वास – यदि विधानसभा किसी मन्त्री-विशेष के प्रति अविश्वास का प्रस्ताव पारित कर दे तो भी सम्पूर्ण मन्त्रिपरिषद् को त्याग-पत्र देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
⦁    गैर-सरकारी प्रस्तावे – विरोधी दलों के प्रस्ताव को गैर-सरकारी और मन्त्रिपरिषद् द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को सरकारी प्रस्ताव कहते हैं। यदि विधानसभा किसी ऐसे गैर-सरकारी प्रस्ताव को स्वीकृत कर दे जिसका मन्त्रिपरिषद् विरोध कर रही हो, तो इस स्थिति में सम्बन्धित मन्त्री को अपना पद त्यागना होगा। सैद्धान्तिक दृष्टि से तो मन्त्रिपरिषद् पर विधानसभा द्वारा नियन्त्रण रखा जाता है, किन्तु व्यवहार में दलीय अनुशासन के कारण मन्त्रिपरिषद् ही विधानसभा पर नियन्त्रण रखती है।



Discussion

No Comment Found