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Answer» एक बुजुर्ग आदमी था। वह बहुत कंजूस था। वह एक घरमे रहता था जिसमे एक बड़ा सा बगीचा था। कंजूस हमेशा अपने सोने के सिक्केंबगीचे में पत्थर के निचे छुपाकर रखता था। रोज रात को कंजूस सोने से पहले अपने बगीचे में जाता और अपने सिक्कें गिनता था। वह यह काम रोज करता था। लेकिन उसने अपना एक भी सिक्का खर्च नहीं किया था। एक दिन, एक चोर ने कंजूस को अपने सिक्कें छुपाते हुए देख लिया। जैसे ही कंजूस बुजुर्ग आदमी अपने घर में गया चोर ने वहाँ छुपा हुआ सारा खजाना निकाल लिया। अगले दिन, जब वह बुजुर्ग आदमी अपने सिक्कें गिनने के लिए आया तो उसने देखा की उसके सिक्कें वहाँ नहीं है और वह जोर जोर से रोने लगा। उसका पड़ोसी उसका रोना सुनकर उसके पास आया और पूछने लगा, “क्या हुआ?” सब कुछ जानने के बाद वह पड़ोसी बोला, “तुमने अपना पैसा अपने घर के अंदर क्यों नहीं रखा? क्या यह वहाँ पर सेफ नहीं था?” पड़ोसी ने उसे समझाते हुए कहा, “अपने घर के अंदर पैसा रखने से तुम जब भी जरुरत हो आसानी से काम में ले सकते थे कुछ भी खरीदने के लिए।” कंजूस आदमी ने जवाब दिया, “खरीदने के लिए? मैं अपने सोने को कभी खर्च नहीं करने वाला था।” यह सुनकर पड़ोसी ने एक पत्थर उठाया और फेक दिया और बोला, ” अगर यह बात है, तो इस पत्थर को बचाओ क्यूंकि यह उसी तरह बेकार है जिस तरह तुम्हारा सोना जो की तुमने खो दिया।” तब बुजुर्ग आदमी को अपनी गलती का एहसास हुआ। शिक्षा -अधिकार बस उसी के लिए योग्य है जिसे इसका उपयोग करना आता है।
तो दोस्तों आपको यह कहानी “कंजूस और उसका सोना Explanation: 8 |
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