InterviewSolution
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09अभी न होगा मेरा अंतअभी-अभी ही तो आया हैमेरे वन में मृदुल वसंत-अमौन होगा मेरा अत।Rहरे-हरे ये पातडालियाँ, कलियाँ, कोमल गातामैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-करफेसँगा निद्रित कलियों परजगा एक प्रत्यूष मनोहर।10पुष्ण-पुष्प से तंद्रालस लालसा खीच लूँगा मैं,अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैंद्वार दिखा दूँगा फिर उनको।हैं मेरे वे जहाँ अनंत-अभी न होगा मेरा अंत।-सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला |
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